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________________ २१४ कुम्पल। (कुड्मल) कुंपळ- कुंपल । फणगो कुल (कुल) कुल-कुळ कुल्लड कूलढुं-कूलडी कुसग्गपुर (कुशाप्रपुर) राजगृहनुं बीजं नाम कुंडलय (कुण्डलक) कुंडळ कुंडाळु कोटर (कोटर) कोतर कोडिय कोडियु कोमलय (कोमलक) कू[ कोसेय (कौशेय) कौशेय-रेशमी वस्त्र कोहल (कूष्माण्ड) कोढुं । खड खड-घास खाणु (स्थाणु) स्थाणु-खीलो-ठुठं खीर) (क्षीर) क्षीर-खीर-दूध छीर खेत्त । (क्षेत्र) क्षेत्र-खेतर खित्त) खेम (क्षेम) क्षेम-कुशळ गमण (गमन) गमन-जबुं गल (गल) गढुं गवत्त गवत-घास गहण (ग्रहण) ग्रहण करवानुं साधन गी । (गीत) गीत-गायेलं गीत। । गुत्त (गोत्र) गोत्र-वंश गुरुकुल (गुरुकुल) सदाचारवाळा गुरुओ ज्यां रहे छे ते स्थान घग्घर घाघरो घय (घृत) घी घर (गृह) घर घरचोल (गृहचोल) घरचोर्द्ध घाण (घ्राण) घ्राण-नाक-सुंघवानु साधन चउक्क (चतुष्क) चोक चउवट्टय (चतुर्वर्त्मक) चौटुं-चार रस्ता वक्क (चक्र) चक्र-चरखो चम्म ( चर्मन् ) चाम-चामडुं चंग (चङ्ग) सारं चंडालिअ (चाण्डालिक) चंडालनो स्वभाव-क्रोध चंदण ( चन्दन ) चंदन, झाड लाकडं चारित्त ( चारित्र ) सञ्चारित्र सद्वर्तन चेइअ (चैत्य) चिता ऊपर चणेळ स्मारक-चिह्न-ओटाओ, छत्री, पगलां, वृक्ष, कुंड, मूर्ति वगेरे चेण्ह (चिह्न) चेन-चाळा चेल (चेल) चेल-वस्त्र
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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