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________________ २१३ नाम [ नान्यतर जाति] कापर अक्खि । (अक्षि) आंख आमलय (आमलक) आमळुअच्छिा आंबळ अञ्चभुय (अत्यद्भुत) अचंबो। उदग। (उदक) उदक-पाणी अच्छेर (आश्चर्य) आश्चर्य-अचरज अजिण (अजिन) अजीन-चामडं उप्पल (उत्पल) उत्पल-कमळ अट्टि (अस्थि) हही-हाडकुं-हाड ऊसय ओशीकुं अत्थ (अस्त्र) अस्त्र-फेंकवान हथीयार ओचुल्ल ओलोचुलो बाण वगेरे कट्ठ (काष्ठ) काष्ठ-काट-काठ-काठी लाकडु अद्ध (अर्ध) अडधु कट्ट (कष्ट) कष्ट-दुःख अभयप्पयाण (अभयप्रदान) कप्पडय (कर्पटक) कपडु-कापडंअभयदान-प्राणीओ निर्भय रहे -बने तेवी प्रवृत्ति | कम्म (कर्म) काम-कार्य-सारी अमिय (अमृत) अमी-अमृत नरसी प्रवृत्ति अरविंद (अरविन्द) अरविंद- | कम्मबीअ (कर्मबीज) कर्मबीज उत्तम कमळ सत्-असत्-संस्कारनुं बीज असाय। (असात) शाता नहि कयल (कदल) केळु असात सख नहि ते कंबल (कम्बल) कंबल-कामळ कंटोल। कंटोल कंकोडं-कंकोअहिनाण (अभिज्ञान) एंधाण कंकोड डानु शाक अंगण (अङ्गन) आंगणुं कंजिय (काञ्जिक) कांजी अंडय (अण्डक) इंडे कंटयरक्ख (कण्टकरक्ष) कांटाअंसु (अश्रु) आंसु रखु-कांटाथी रक्षण करनार-जोडा आउय (आयुष्क) आयुष्य-जींदगी आमरण (आभरण) आभरण-घरेणुं । कारण (कारण) कारण
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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