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________________ जोहा (योजित) जोडेछु जोइय। (योजित) जोडेलु महब्भय (महाभय) मोटो भय- वयण (वचन) वचन-वेण ___ मोटी बीक क्यण (वदन) वदन-मुख पुच्छ (पुच्छ) पूंछडी विशेषण तिम्म । (तिम्म) तीक्ष्ण-तेजदार | उज्झमाण (दह्यमान) दाझतु-बळंतु तिग्ग। पुण्ण (पूर्ण) पूर्ण भरेलो-संपत्ति पुण्ण (पुण्य) पुण्य-पवित्र काम वाळो पंत (प्रान्त) अंतनु-छेवटचें-वापरतां तुच्छ (तुच्छ) तुच्छ-रांक-अधूरो वधेलं पन्नत्त (प्रज्ञप्त) प्रज्ञापेलं-जणावेलु विष्भल (विह्वल) विह्वल-भां- लुक्ख) (रूक्ष) लूटुं, आसक्ति विहल भळो-गभरायेल लूह विनानु सीलभूअ (शीलभूत) शीलभूत सदाचाररूप अव्यय इत्थं ( इत्थम् ) ए प्रकारे एअं ( एतत् ) ए तु (तु) तो उम्पि ) ईसि ( ईषत् ) ईषत्-थोडु इशारा- अवरि । (उपरि) ऊपर उवारि इह (इह) आमां-अहीं उवरि) दाणि) वाणिं (( इदानीम् ) हमणां आजकाल इयाणि) धातु विहर (वि+हर्) विहरवु-फरवु | अमराय । (अमराय) अमरनी पेठे डस् (दंश) डसवू-करडवू अमराह रहेQ-पोतानी जातने पगम (प्र+गल्भ) प्रगल्भ थq अमर मानवी बडाइ मारवी मात्र श्याणि
SR No.007832
Book TitlePrakrit Margopadeshika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBechardas Doshi
PublisherGurjar Granthratna Karyalay
Publication Year1943
Total Pages294
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size14 MB
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