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________________ रायपसैणी। वासाइ जेणेव मागह वरदामपभासद् तित्याइ तेणेव उवागच्छति २ त्ता तित्थोदग गिगहति तित्योदग गिगिहत्ता तित्यमट्टिय गिएहति जेणेव गगासिधुरता रत्तवतीतो महाणदीतो तेणेव उवागच्छतिर त्ता सलिलोदय गिएिहत्ता उसम उकूला उमट्टिय गिराहति नेणेव चुल्लहिमवत सिहरी वासहरपब्बया तेणेव उवागच्छति २ सव्व तूबरे सव्वपुप्फे सब्बगधे सवमल्ले सव्वोसहि सिद्धत्यएव गिराहतिर त्ता तेणेव पउमवर पुडरीय उदहा तेणेव उवागच्छति २ त्ता दहोदग गिगहतिजाइ तत्थ उप्पल्लाइ जाव सहस्स पत्ताइ ताइ गिरिहत्ता जेणेवहेमवए परखण्णवयाइ वासाद जेणेव रोहियारोहित ससूवरण कूलरूप्पकुलाइ उ महाणदीतो तेणेव उवागच्छति २ त्ता सलिलोदग इत्यादि सवान् तूवरान् कपायान' सवाणि पुप्यानि सवान् गन्धान गन्धवासादीन् सर्वाणि माल्यानि गुथितादिभेदभिन्नानि सर्वापधी सिद्धार्धकान् सर्षपान् गृहणन्ति। इहैव क्रम पूर्व बोरसमुद्र उपागच्छति तधोदक सुत्पलादीनि च गृद्गन्ति तत' पुष्करीदसमुद्रतवापि तथैव ततो मन थक्षेत्रे भरतैरावतवपेषु माघधादिषु तीर्थेषु तीर्थोदक तीर्थमृतिका च गृह्णन्तितती गगासिन्धुरता रक्तवतीषु नदीपु सलिलोदक नादकसभयतटमृत्तिका गृह्णन्ति तत , क्षुल्लाहमवसिखरिषु सर्व तवरसवपुष्पसर्वमाल्यसर्वोपधिसिद्धार्थकान् तत स्तवैव पद्मदपीण्डरीकदषु इदीदकसमुत्पला. दोनि च तद्गतानि ततो हेमवतैरण्यवतवर्षपु रोहितारोहिताशासुवर्णकूला रूप्यकूला सुमहानदीपु तिहाउत्पलकमल हसहम पवादिकमल तेइ गृहद गृहीनद जिहामनुष्यव जिहा भरतपरखत क्षेत जिहा लवणसमुद्रसबधीमागध वर दाम भास तीर्थ तिडा जातिहा जनदू तीर्थोदक गुहद् तीथादक गुहीन तीघनीमाटी गृहद् ग हीनद जिहा भरतसबधी ग गासिधूपरबतसबधारला रक्तवती महानदी तिहा जाइ जनदू नदीनापाणीग हीनदू बिहू' तटथका माटी ग ह जिहा' लहिमवत अन सिखरी वर्षधर पन्वत तिहा जाइ जदून सर्वनुबरपाटउरस सर्वफूल सर्वगध सबमालाफूलनी सवऊपधी सिरिसव ग ह ग हीनद जिहा हिमवतपर्वतपाइहसिखरी पर्वतद पु डरीकइह तिहा जाइ नइनदर तेहबिहनापाणी ग हदू जेह तिहाउत्पलकमलनीजाति पु डरीकादिक सहम पवप्रमूखकमल तेह म हीनदू जिहा हिमवतयुगलक्षेत्र ऐरण्यवतयुगल क्षेत्र जिहा हिमवतवाहितानही ऐरण्यवतवइसुवनकूला रुप्पकूला मोठीनदीतिहाजाइ जनइ नदीनी पायी ग हद विभू तटनीमाटी ग ह जिहा सब्दापाती विकटापाती पणनामद
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
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