SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 174
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ रायपसेगी। १५ कलसाग अट्ठसय उमाण कलसाण एव भिगाराण आयसाण थालाण पाईगा सुपतिद्वाण चित्ताण खणकरडगाण पुप्फचगेरीण जाव लोमहत्यचगेरीण पुप्फपडलगाण जावलोमहत्थ पडलगाया छत्ता चामराण तेल्लसमुग्घाएण जाव अजणसमुग्गाण अट्ठ सय कडूवूयाण विउति विउवित्ता समाविए यावउविएय कलसेय जाव धूवकडुछुए गिगहति गिराहत्ता सूरियामाउ विमाणाउ पडिमिक्खमति २ त्ता ताए उक्किट्ठाए तुरियाचवलाए जाव तिरिय मसरखेज्माण जाव वीईवयमाणा २ जेणेव खीरोयसमुद्दे तेणेव उवागच्छति २त्ता खीरोयगगिएइति २ ता जाइ तत्यपल्लाइ ताइ गिगइति जाव मयसहस्स पत्ताइ गिएहति गिरिहत्ता जेणेव पुक्खरोए समुद्दे तेणेव उवागच्छति तेणेव उवागच्छित्ता पुरखरोय गिपति पुस्खरोय गिरिहत्ता जाई तत्थूप्पलाद जाइ सहस्स पत्ताद ताइ गिगइति २ त्ता जेणेव समयखित्ते जेणेव भरहरवयाद सहम भृगाराणामेवमादर्शस्थालपावीसुप्रतिष्ठवातकरकचिवरत्नकरण्डकपुष्पचगेरीया च लीमहस्तगरीपुष्पपटलकथावल्लीमहस्तयदलकसिहासनकवचामरससनकध्वजथूपकपडुबुकाना प्रत्येकमष्टसहसमष्ठसहर विकुर्विवा (ताए उक्किट्ठाए) इत्यादि व्याख्यानार्थ “स वतूबरे" मणिमय कलस एकसयाठमाटीना कलस एमजकलसनासख्या भगार१००८ श्रारीसा१००८ घाल१००८ पावी१००८ प्रतिष्टाया१.०८ चित्तिबीनकर टीया१००८ फूलचगेरी१००८ माला चगेटरी पाभरणचगेरी मयूरपिछपु जणीनीचगेरी फूलनापउलजिमविमानपोलिागलिपूर्व कहिउ छातिमजसवकहजेतलीचगेरीतेतलापड जिहालगिमयूरपिछपु मणीपडलग झव१००८ चामर १०.८ मुग धतेलनाडावडाउ००८ चूणनाडाबडा१०.८ हि गुलहरितालनाजिमविकहिउतिमन साचीराजननाडाबडा एकसहसपनिमा एकसहसाउधूपकडबा विकुवनीपजावर विकुबीन सभावियनै विकुक्ति बालस शू गारपानीप्रमुख धूपकडउहालगद ग ही ग हीनद सूर्याभ विमान घकी नीकलइ नीकलीनद देवसबधी गति उत्कृष्टी अतावली कायानचपलपण चडाएजय सादगीगति निरिशपसख्याताद्वीपसमुद्रमा मझयमाहि अतिक्रमतायकाजिहा निहां जीरो दकसमुद्र तिहाँ जाइ जनदू चोरीदकसमूद्रनापाणीग हरग, हीने ते विहाचीरसमुद्रउत्पल कमलनाजातितह ग हर कु सुदपवलक्षपन पु डरीकसहसपकमलप्रति ग ह ग होना जिहा एकरोदक समुद्र तिहानाइ तिहा जइन पुस्करसमढूनंउपाणीगृहदू' पुष्करीदक गुहीन जैह -
SR No.007379
Book TitleAgam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Shwetambar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRai Dhanpatsinh Bahadur
PublisherRai Dhanpatsinh Bahadur
Publication Year1917
Total Pages289
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Conduct, F000, F999, & agam_rajprashniya
File Size9 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy