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________________ तेरापंथ-मत समीक्षा । www.mmmmmmmmmmmmmmmmmmmmm mam ... उत्तर-प्रभ व्याकरणके पांचवें आश्रवद्वारमें परिग्रहके नाम आए । उसमें 'प्रतिमा' का नाम नहीं है । वहाँ 'चेहयाणि तया 'देवकुल' ऐसे दो शब्द आये हैं 'चेइआणि' शब्दका अर्थ 'चैयक्षान् ' ऐसा करनेका है। क्योंकि-शब्दोंके अनेक अर्थ होते हैं । अधिकार देखना चाहिये । खैर, तिसपर भी यदि आपलोग 'चेइयाणि' शब्दका अर्थ प्रतिमा' करते हैं, और 'देवकुलका अर्थ 'देवमंदिर' करते हैं, तोभी इससे 'जिनपतिमा' तथा 'जिनमंदिर' ऐसा अर्थ नहीं निकलेगा। __ अच्छा, अब ‘परिग्रह' किस खतकी चिडीया है ? यह भी प्रश्न पूछने वालोंको मालूम नहीं है। दशवैकालिक सूत्रक छठवें अध्ययनकी २१ वी गाथामें कहा है:-" मुच्छा परिग्गहो वुत्तो इअ वृत्तं महसिणा" मूर्छाहीको परिग्रह कहा है। ऐसा परमात्मा महावीर देव कहते हैं। यदि आप लोग 'प्रतिमा' को परिग्रहमें गिनते हो. तो दिखलाओ, उसके ऊपर किस प्रकारकी मृच्छी होती है ? और यदि वस्तु ग्रहण करनेहीमें परिग्रहका दोष लगाते हो तो, तुम्हारे साधु परिग्रहधारी गिने जायेंगे, क्योंकि वस्त्र-पात्र उपकरण वगैरह रखते हैं। हमें बड़ा आश्चर्य होता है कि- जहाँ केवल 'चैत्य' शब्द मिलता है, वहाँ तो 'प्रतिमा' अर्थ करके जिनप्रतिमाके निषेध करनेको तय्यार होते हो, और जहाँ 'अरिहंतचेइयाणि' शब्द आता है, वहाँ तो दूसराही अर्थ करके मन-मोदक उडानेकी कोशिश करते हो। यह भी तुम्हारी बुद्धिका एक अपूर्व नमूना ही है। प्रश्न--११ गंणायंगजीरे दुजे ठाणे धर्म दोय कया, सूत्र
SR No.007295
Book TitleTerapanth Mat Samiksha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVidyavijay
PublisherAbhaychand Bhagwan Gandhi
Publication Year1915
Total Pages98
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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