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________________ GOGOGOG@GOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©GOGOG@GOGOGOGOG कोई घर छोड़कर भाग जाता है । अविश्वास के द्वारा दुखी होता है। कोई ऐसे भी हैं कि मर कर भी घर नहीं छोड़ना चाहता निकलता नहीं है। __ मिस्र (Egypt) के पिरामिड इसका अद्भुत उदाहरण हैं । वे लिख कर गए होंगे, हमको निकाल मत देना । 'ममी' के स्वरूप में हजारों वर्षों बाद भी इनको सहेज रक्खे हैं । बसे रहने की गहरी आसक्ति का असार यहां संग्रहित किया हुआ पड़ा है। तीर्थंकर प्रभु ही एक ऐसे हैं जिन्होंने घर को निकट से देखा, उनको उसमें कुछ खास नहीं लगा तो उन्होंने संसार के प्राणियों को आगाह किया कि तुम बहुत जल्दी इस घर को छोड़ देना' और घर की आसक्ति से, इसके ममत्व से बचने के लिए सभी को समझा कर सचेत करते रहना । सर्व विरति ही धर्म है और सब दःख का कारण घर है। जहां हिंसा, पाप, झूठ, माया, कपट, कलेश, क्रोध, द्वेष, धिक्कार, अहंकार, अविश्वास, संग्रह वृत्ति, ईर्ष्या आदि अनेक विपदा का कारण घर' है। चिंता, शोक, विषाद और भय का कारण भी घर ही है । घर में रहना ही पड़े और रहना ही हो तो ममत्व कम रखना । जिस घर को तुमने 50, 60, 70 वर्ष तक सजाया उस घर में से तमको उठाकर बाहर रखने में किसी को हिचकिचाहट नहीं होगी । कहेंगे अरे जल्दी उठाओ ! बाहर निकालो ! धन्य हैं वो आत्माएँ जिन्होंने घर का त्याग कर अणगार रूप धारण कर लिया। घर की ममता गहन है । समझदार बनो । वस्तु स्थिति क्या है ? उसे समझो ! घर का चक्कर समझना जरूरी है। 'तुम में घर समा गया है या तुम घर में समा गए हो।' गहराई से विचार करना। __मेरे बिना घर का क्या होगा ? ये सोचने वाले चले गए। कहीं किसी को कोई बाधा नहीं आई। सभी काम व्यवस्थित चल रहे हैं । एक मनुष्य के चले जाने पर कई संबंध समाप्त हो जाते हैं । इस बदलती दुनिया में स्थिर कुछ नहीं है । स्वयं अपना दुःख छिपाना चाहते हैं । ऊपर की चमक दिखाकर दुनिया को दिखाना चाहते हैं कि हम तुमसे सुखी हैं । 'उपर की अच्छी बनी भीतर की राम जाने वृद्धावस्था, मृत्यु, पराजय और संताप मिला ? जंबू ! भगवान महावीर देव 90909090090909090509090900112909090909090905090900909090
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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