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________________ कहते हैं कि - यह घर तुम्हारा वास्तविक आश्रय नहीं है । तुमको यह घर तुम्हारा सब कुछ लेकर तुम्हें विदा कर देगा । ऐसा लगता है जैसे घर कह रहा हो 'सब कुछ तुम्हारा है लेकिन सावधान ! किसी वस्तु को हाथ लगाना नहीं ।' राजकुमार सुनते जा रहे हैं और जीवन पूरी तरह परिवर्तित हो गया । विचार करते हैं - वर्धमान भी मेरे जैसे ही राजकुमार क्या नहीं थे ? अमूल्य जीवन के अमूल्य पल ऐसे ही बीते जा रहे हैं । 1 घर में एक तरफ ऐसा स्थान, कमरा रखो जहां आसन बिछाकर आराम से बैठो और धर्म क्रिया, प्रभु स्मरण, स्वाध्याय आदि कर सको । जीव को इस घर में भटकने नहीं देना । घर को घर ही रहने देना ‘तुमको उसमें रहना पड़े ठीक है किन्तु उसको अपने में मत बसा लेना' तुमको यह सब समझ में नहीं आया है इसलिए घर में बैठे हो। तुम्हें घर में से कुछ मिलने का इन्तजार है । तुमको जो चाहिए, दुनिया के पास वह वस्तु कुछ भी देने के लिए नहीं है । या तो माल की कीमत करो या माल देने वाले की । राजकुमार अकेला बैठा-बैठा गंभीरता से विचार कर रहा है-अंत में मिला या नहीं, सब कुछ बराबर है । घर तो निश्चित ही छोड़ना है । प्रबुद्ध चेतना का मालिक आने वाले समय को नहीं देखता क्योंकि आने वाला समय तो है कुछ होने वाला भी है - जो तुमने सोचा ही नहीं । गजब की बात तो यह है कि तुम बिना लुटाए बरबाद हो जाओगे । राजकुमार को तो अब बिलकुल चैन नहीं । दुविधा में पड़ गया अब क्या करना ? विचार करते-करते गहराई में चले गए। कुछ पता नहीं चला कि सूर्य अस्त हो गया - अंधेरा हो गया । दास-दासी यह सोचकर कि राजकुमार के चिंतन में कोई हो दीपक भी लगाया । वैसे तो अंधेरा उपयुक्त होता है । अंधेरे में शांति और शीतलता होती है । स्वयं में (आत्म मंदिर में ) उतर जाने के लिए घर, जंगल, रहवासी, इलाका या शमशान सभी समान हैं । मनुष्य भय प्राप्त करता है, डरता हो उसके लिए घर की आवश्यकता होती है । ऐसा अंधेरा चोर के लिए उपयुक्त होता है। चोर ने राजकुमार के महल में प्रवेश किया । राजकुमार को देखकर सहम गया । राजकुमार ने कहा - डरो मत! मैं दीपक लगाता हूँ I 9060 113
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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