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________________ ( ६ ) परसे साररूप संग्रह किया हुआ ग्रन्थ है और इसी लिए इसे स्वयं ग्रन्थकर्ताने ग्रन्थान्तमें 'गोम्मट - संग्रह - सुत्त ' कहा है । गोम्मटसारकी ऐसी और भी कई गाथायें उससे बहुत पुराने ग्रन्थों में * ( जैसे कि राजवार्तिक और भगवती आराधना ) मिलती हैं; परन्तु इससे गोम्मटसार भगवती आराधना आदिसे पहले सिद्ध नहीं हो सकता। इससे केवल यही मालूम होता है कि गोम्मटसारमें प्राचीन ग्रन्थोंसे बहुतसी गाथायें संग्रह की गई हैं । ऐसी दशा में नेमिचन्द्रका समय प्रभाचन्द्रसे ९ पहले नहीं ठहर सकता । , सन्देहका दूसरा कारण यह है कि ' बाहुबलिचरित ' नामक संस्कृत ग्रन्थमें लिखा है कि कल्कि संवत् ६०० में चामुण्डराय मंत्री गोम्मट देवकी प्रतिष्ठा कराई थी + और कुछ पण्डित महाशयों ने बना * देखो जैनहितैषी भाग १३ पृष्ठ ४९२-९३ ॥ 8 प्रमेय कललमार्तण्डकी प्रशस्तिमें लिखा है कि इस ग्रन्थको धारा निवासी प्रभाचन्द्र पण्डितने भोजदेवके राज्य में बनाया । इस पर हमारे कुछ पण्डित महाशयोंने प्रभाचन्द्रको विक्रमकी ग्यारहवीं शताब्दिका विद्वान् समझ लिया है ।। क्योंकि सुप्रसिद्ध राजा भोजका निश्चय किया हुआ समय यही है । परन्तु उन्हें यह मालूम नहीं है कि धारामें कविकल्पवृक्ष भोजके पहले, शककी आठवीं शता-दि प्रारंभ में, एक और भोजदेव नामका राजा हो गया है । उसीके समय में प्रभाचन्द्रका प्रमेयकमलमार्तण्ड लिखा गया है । हरिवंशपुराण शक संवत् ७०५ में समाप्त हुआ है और आदिपुराण भी लगभग इसी समयका ग्रन्थ है । पर इन दोनों ही ग्रन्थोंमें प्रभाचन्द्रका स्मरण किया गया है और इस लिए प्रभाचन्द्र दूसरे भोजके समय नहीं, किन्तु प्रथम भोजके समयके, शक संवत् ७०० के लगभग,.. विद्वान् हैं और इस कारण नेमिचन्द्रको उनसे २०० वर्ष बाद मानना चाहिए । + कल्क्यब्दे षट्शताख्ये विनुतविभवसंवत्सरे मासि चैत्रे पंचम्यां शुक्लपक्षे दिनमणिदिवसे कुंभलग्ने सुयोगे । सौभाग्ये मस्तनाम्नि प्रकटितभगणे सुप्रशस्तां चकार श्रीमच्चामुण्डराजो बेल्गुलनगरे गोमटेशप्रतिष्टाम् ॥
SR No.007269
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherManikyachandra Digambar Jain Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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