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________________ ( ५ ) ये ' चामुण्डराय ' गंगवंशीय राजा राचमल्लके प्रधानमंत्री और सेना - थे । रामल भाई रक्कस गंगराजने शक संवत् ९०६ से ९२१ तक राज्य किया है और उसके बाद राचमल्लका समय प्रारंभ होता है । अर्थात् चामुण्डराय शककी १० वीं शताब्दिके प्रारंभ में मौजूद थे । यह समय कनड़ी भाषा के ' चामुण्डरायपुराण' या ' त्रिषष्ठिलक्षणमहापुरुषचरित ' नामक ग्रन्थसे और भी अच्छी तरह निश्चित हो जाता है । यह ग्रन्थ स्वयं चामुण्डरायका बनाया हुआ है और शक संवत् ९०० में - ईश्वर नामक संवत्सरमें - यह समाप्त हुआ है । * इसके सिवाय ' रन्न ' नामके प्रसिद्ध कविने अपने 'पुराणतिलक' नामक कनड़ी ग्रन्थमें - जो शक संवत् ९१५ में बनकर पूरा हुआ है -- अपने ऊपर चामुण्डराय की विशेष कृपा होनेका उल्लेख किया है + । इन सब प्रमाणोंसे अच्छी तरह सिद्ध हो जाता है कि शककी दसवीं शताब्दिके प्रारंभ में नेमिचन्द्र स्वामी हो गये हैं और इससे शक संवत् ९४७ में वादिराजसूरि द्वारा वीरनन्दिका उल्लेख होना भी संगत तथा निर्भ्रान्त सिद्ध हो जाता है । , नेमिचन्दस्वामीके इस समयके विषयमें कई सज्जनोंको सन्देह है । सन्देहका एक कारण यह है कि ' प्रमेयकमलमार्तण्ड ' में गोम्मटसारी ' विग्गहगदिमावण्णा' आदि गाथा उद्धृत हुई है और इस ग्रन्थके कर्त्ता प्रभाचन्द्र शकसंवत् ७०० के लगभग हुए हैं । अत एव गोम्मटसारके कर्त्ता शक संवत् ९०० के लगभग नहीं किन्तु ७०० से पहले होने चाहिएँ । पर यह सन्देह व्यर्थ है । प्रमेयकमलमार्तण्डमें जो गाथा उद्धृत हुई है, वह गोम्मटसारकी नहीं, किन्तु गोम्मटसार जिस सिद्धान्तग्रन्थसे संग्रहीत किया गया है, उसकी है। गोम्मटसार ' जयधवल सिद्धान्त' * इसके लिए देखो मि० राइसकी 'इंस्क्रिपशन्स ऐट् श्रवणबेलगोल नामक • अँगरेजी ग्रन्थकी भूमिका । + देखो ' कर्नाटक कविचरित ' में रनका वृत्तान्त । >
SR No.007269
Book TitleTriloksar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorManoharlal Shastri
PublisherManikyachandra Digambar Jain Granthmala Samiti
Publication Year
Total Pages442
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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