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________________ खण्ड ] :: विभिन्न प्रान्तों में प्रा० झा० सद्गृहस्थों द्वारा प्रतिष्ठित प्रतिमायें बनासकांठा-उत्तर गुजरात-थराद :: [ ४३३ प्र० वि० संवत् प्र० प्रतिमा प्र. प्राचार्य प्रा० ज्ञा० प्रतिमा-प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि सं० १५४७ वै० शांतिनाथ अंचलगच्छीय- डीसावासी प्रा. ज्ञा. श्रे. लक्ष्मण ने स्वभा० रमकूदेवी, शु० ३ सोम० सिद्धान्तसागरसूरि पुत्र लींबा भा० टमकूदेवी, तेजमल, जिनदत्त, सोमदत्त सूरा सहित स्वश्रेयोर्थ. सं० १५-- माघ विमलनाथ ब० तपा०- सहालावासी प्रा० ज्ञा० श्रे० धांगा की स्त्री पंगादेवी कृ. २ गुरु० जिनसुन्दरसूरि के पुत्र पर्वत ने स्वभा० मटकूदेवी, पुत्र कर्मादिसहित. सं० (१५) ६५ माष० शांतिनाथ श्रीसूरि माद्रीपुरवासी प्रा. ज्ञा. श्रे. जसराज के श्रेयोर्थ पुत्र शु० १२ शुक्र० पूनचन्द्र ने. सं० १६१८ माघ० आदिनाथ विजयदानसरि प्रा. ज्ञा० ऋ० सोनीगोत्रीय सासा की पुत्री सोनीबाई ने. शु० १३ श्री आदिनाथ के बड़े जिनालय में धातु-प्रतिमा सं० १५१५ वै० चन्द्रप्रभ सिद्धांतीगच्छीय प्रा० ज्ञा० श्रे० वागमल ने स्वभा० पोमी, पुत्र वेलराज क. २ गुरु० ___ सोमचन्द्रसरि भा० लाबी बाई पुत्र विरूआ सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री विमलनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमा (देसाईसेरी) सं० १५२३ वै० वासुपूज्य तपा० लक्ष्मी- प्रा. ज्ञा० श्रे० मेहा की स्त्री लापु के पुत्र महिमा ने स्वभा० शु० १३ सागरसरि मरघू, पुत्र लटकण, भ्रात नरवदादि कुटुम्बसिहत स्वश्रेयोर्थ. श्री सुपार्श्वनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमा (आमलीसेरी) सं० १५०८ ज्ये० श्रेयांसनाथ जीरापल्लीगच्छीय- प्रा. ज्ञा० श्रे० मोकल ने स्वभा० दूधड़ी, पुत्र हीराचन्द्र, शु० १० सोम० उदयचन्द्रसरि सहज पुत्र ऊतलसहित स्वश्रेयोर्थ. श्री अभिनंदन-जिनालय में धातु-प्रतिमा (राशियासेरी) सं० १५५३ आषाढ़ मुनिसुव्रत पूर्णिमा० भीमपल्लीय- प्रा० ज्ञा० सं० सेंगा की स्त्री ह देवी के पुत्र सं० अमा ने शु० २ शुक्र० मुनिचन्द्रसरि स्वभा० लीलादेवी, पुत्र खीमचन्द्र, सिंधु, लक्ष्मण, अलवा, धनराजादि सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री विमलनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमा (मोदीसेरी) सं० १५८-वै. श्रेयांसनाथ पूर्णिमा-पक्षीय प्रा. ज्ञा० श्रे० दा ने स्वमा० जाणी, पुत्र जयवंत के कु०५ जिनहर्षसरि सहित स्वश्रेयोर्थ. श्री शांतिनाथ-जिनालय में धातु-प्रतिमा (सुतारसेरी) सं० १५१६ मार्ग० संभवनाथ अंचलगच्छीय रत्नपुरवासी लघुशाखीय मं० अमरसिंह भा० माई पुत्र सं० शु० ६ शनि० जयकेसरिसरि गोपाल ने भा० सुलेश्रीदेवी, पुत्र देवदास, शिवदास सहित स्वश्रेयोर्थ. जै० प्र० ले०सं० ले १६४,१२७,७६, ४७, २१२, २४२,२५६, २६०, २६७, २७२ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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