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________________ ४३२] प्र० वि० संवत् सं० १४६२ वै० आदिनाथ शांतिनाथ सं० १५१० वै० सुमतिनाथ शु० ३ शु० ६ शुक्र० सं० १४८४ प्र० प्रतिमा प्र० श्राचार्य मड़ाहड़ गच्छीय हरिभद्रसूरि ने. तपा० सोमसुन्दर - सूर तपा० रत्नशेखरश्वरि सं० १५१५ ज्ये० अजितनाथ कृ० १ शुक्र ० सं० १५१६ माघ शीतलनाथ क्र० सोम ० सं० १५२३ वै० श्रभिनन्दन शु० १३ सं० १५२४ मार्ग • सुविधिनाथ कृ० २ सं० १५२७ माघ संभवनाथ कृ० ५ गुरु० सं० १५२८ वै० सुविधिनाथ शु० ५ गुरु० सं० १५३४ वै० श्रेयांसनाथ कृ० १० सोम ० सं० १५३४ ज्ये० शांतिनाथ शु० १० सं० १५३७ ज्ये० अजितनाथ शु० २ सोम० पूर्णिमापक्षीय देवचन्द्रसूरि "" 19 :: प्राग्वाट - इतिहास : "" प्रा० ज्ञा० ० खोखराज की स्त्री कील्हणदेवी के पुत्र देवराज ने भा० सूलेश्री पुत्र भरमादिसहित स्वश्रेयोर्थ. तपा० लक्ष्मीसागर - मूजिगपुर में श्रे० मुंजराज की स्त्री जसदेवी के पुत्र हापा ने स्वभा० रत्नादेवी पुत्र जावड़, जीवराज, जगराजादि सहित स्वश्रेयोर्थ. सूरि [ तृतीय प्रा० ज्ञा० प्रतिमा प्रतिष्ठापक श्रेष्ठि प्रा० ज्ञा० श्रे० प्रलेपन की स्त्री साथलदेवी के पुत्र माल वृ० तपा० ज्ञानसागरसूरि श्रीसूरि प्रा० ज्ञा० ० सायर के पुत्र गदा ने स्वभ्रातुं पद्मराज के श्रेयोर्थ. ऊढ़ववासी प्रा० ज्ञा० वीरम की स्त्री भानुमती के पुत्र राघव ने भ्रातृ हेमराज, हीराचन्द्र, वीसलराज भा० मचकूदेवी पुत्र अर्जुन, सांगा, सहजादि कुटुम्बसहित पिता के श्रेयोर्थ. अहमदाबादवासी मं० लींबा की स्त्री मधू के पुत्र अदा की स्त्री मांजी नामा ने स्वश्रेयोर्थ. प्रा० ज्ञा० श्रे० कर्ण की स्त्री मापूदेवी के पुत्र वीढ़ा ने स्वभा० राजलदेवी, पुत्र पालादि कुटुम्बसहित. प्रा० ज्ञा० सं० काला की स्त्री माल्हणदेवी के पुत्र सं० रत्नचन्द्र की स्त्री लावूबाई, सं० भीमराज ने स्वभा० देमति पुत्रकुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. डीसामहास्थान में प्रा० ज्ञा० श्रे० सेलराज की स्त्री तेजदेवी के पुत्र श्रजराज की स्त्री वमीबाई के पुत्र नरपाल ने पितृव्य वाळा, डाहा, पांचादि कुटुम्बसहित. तपा० लक्ष्मीसागर - प्रा० ज्ञा० ० गौपाल ने स्त्री लाखीबाई पुत्र थे० लाखा सूरि स्त्री कीमीबाई, प्रमुखसहित स्वश्रेयोर्थ. तपा० लक्ष्मी लघुशाखीय प्रा० ज्ञा० ० हरदास की स्त्री गोली के पुत्र राणा की स्त्री टबकूदेवी नामा ने स्वपुण्यार्थ. सागरसूरि प्रा० ज्ञा० ० तेजपाल की स्त्री श्रीदेवी के पुत्र पोपा ने स्वभा० पांतीदेवी, पु० वर्जाग, देपाल प्रमुखकुटुम्बसहित स्वश्रेयोर्थ. जै० प्र० ले० सं० ले० १०३, १६६, १४७, १५४, १४१, १२८, ६२, १५१, ४६, ५२, ३८, १६७ ।
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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