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________________ ४] :प्रान्वाह-इतिहास : [द्वितीय ... श्रे० श्रीकुमार के तीन पुत्र और एक पुत्री हुई और क्रमश वील्हा, आंब, साउदेवी और आसधर उनके नाम थे । ज्येष्ठ पुत्र वील्हा के आम्रदेव नामक पुत्र हुआ । आम्रदेव के आसदेव और प्रासचन्द्र नामक दो पुत्र हुये। श्रे० पाल्हण की धर्मपत्नी सील्हू नामा के आसपाल और मांटी नामा दो पुत्र हुये । श्रे० पाल्हण ने अपने प्रात्मकल्याण के लिये श्रीनागेन्द्रगच्छीय श्रीमद् विजयसेनसूरि के करकमलों से वि० सं० १२६३ वैशाख शु० १५ शनिश्चर को श्री अर्बुदाचलतीर्थस्थ श्री लुणवसतिकाख्य श्री नेमिनाथचैत्यालय में प्रतिष्ठित श्रीनेमिनाथप्रतिमा से अलंकृत तेवीसवीं देवकुलिका करवाई ।* पासिलसंतानीय वीशल [शांतू] । मुणिचन्द्र । श्रीकुमार सातकुमार पाल्हण [सील्ह] वील्हा प्रांब साउ आसधर आसपाल मांटी आम्रदेव । भासदेव आसदेव . प्रासचन्द्र ठ० सोमसिंह और श्रे० आंबड़ वि० सं० १२६३ विक्रम की तेरहवीं शताब्दी में चन्द्रावती में प्राग्वाटज्ञातीय ठ० सहदेव हुआ है । ठ० सहदेव के ठ० शिवदेव नामक पुत्र हुआ। ठ० शिवदेव का पुत्र ठ० सोमसिंह अधिक प्रख्यात हुआ। ठ० सोमसिंह के दो छोटे भ्राता भी थे, जिनका नाम ठ० खांखण और सोमचन्द्र थे। ठ० सोमसिंह की पत्नी का नाम नायकदेवी था। नायकदेवी की कुक्षी से सांवतसिंह, सुहड़सिंह और संग्रामसिंह नामक तीन पुत्र उत्पन्न हुये । ज्येष्ठ पुत्र सांवतसिंह के सिरपति नामक एक पुत्र हुआ। चन्द्रावती में अन्य प्राग्वाटज्ञातीय कुल में श्रे. बहुदेव के पुत्र श्रे० देल्हण की स्त्री जयश्री की कुक्षी से पांच पुज-रत्न आंबड़, सोमा, पूना, खोषा और आशपाल उत्पन्न हुये थे, जिनमें आंबड़ अधिक प्रसिद्ध हुआ । श्रे० *प्र० प्रा० ० ले० सं० भा० २ ले० ३१३ पृ० १२८.
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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