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________________ २०.] :: प्राग्वाट-इतिहास: वि० सं० २००८ में श्रीमद् विजययतीन्द्रसरिजी महाराज साहब का चातुर्मास थराद उत्तर गुजरात में था। उसी वर्ष माघ शुक्ला ६ को आचार्यश्री की तत्वावधानता में थराद के श्री संघ ने श्री महावीर-जिनालय की अंजनथराद में प्रतिष्ठोत्सव और श्लाका-प्राण-प्रतिष्ठा करने का निश्चय किया था। उक्त प्रतिष्ठा में प्रतिष्ठित होने वाली आपको सहयोग. प्रतिमाओं और तीर्थ-पट्टादि के बनाने में आपने जिस प्रकार सहयोग दिया, वह थराद श्री संघ की ओर से आपको दिये गये अभिनन्दन-पत्र से प्रकट होता है तथा आपकी गुरुभक्ति, समाजसेवा की ऊँची भावनाओं को व्यक्त करता है: .. . GAMESSEUROSECAUSAUGALMAGESSHARE श्रीमद् राजेन्द्रगुरुभ्यो नमः आभार-पत्र ८ . समाजप्रेमी स्वधर्मी श्रीमन् भाई श्री ताराचन्द्रजी मेघराजजी मु० पावा (मारवाड़) राजस्थान आप निःस्वार्थ समाजसेवी हैं और यह आपकी अनेक संघयात्रा, प्रतिष्ठामहोत्सव, उद्यापनतपादि में लिये गये भागों से सिद्ध है। फिर आप वैसे 'श्री वर्द्धमान जैन बोर्डिंग हाउस', सुमेरपुर के कर्णधार एवं प्राग्वाट-इतिहास जैसे भगीरथकार्य के उठाने वाले अथक परिश्रमी एवं परमोत्साही सजन होने के नाते लब्धप्रतिष्ठ व्यक्ति हैं। श्री गुरुवर्य व्याख्यान वाचस्पति श्री श्री.१००८ श्री विजययतीन्द्रसूरीश्वरजी के करकमलों से वि० सं० २००८ माघ शुक्ला ६ को थराद में 'श्री महावीरजिनालय की होने वाली अंजनश्लाकाप्राणप्रतिष्ठा' के लिये श्री थराद संघ की ओर से जयपुर में जो पाषाण के ७८ अट्ठहत्तर बिंब तथा मकराना (मारवाड़) में जैनतीर्थों के १५ पाषाणपट्ट बनवाये गये थे, उनके प्रतिष्ठा के शुभावसर तक बनवाकर आ जाने में, मूल्य के निश्चयीकरण में आपने जिस संलग्नता, तत्परता एवं धर्मप्रेम से श्री थराद संघ को तन, मन से कष्ट उठाकर सहयोग प्रदान किया है, उसका हम अत्यधिक आभार मानते हैं। आपकी इस समाजहितेच्छुकता एवं गुरुभक्ति से हम अत्यधिक प्रभावित हैं। SSSSSSS43641964955 35 वि० सं० २००८ माघ शु०७ । आपका श्रीसंघ, थराद (उत्तर गुजरात) CRECCANARALLECCANCERAMM A R
SR No.007259
Book TitlePragvat Itihas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDaulatsinh Lodha
PublisherPragvat Itihas Prakashak Samiti
Publication Year1953
Total Pages722
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size29 MB
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