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________________ 198 कविवर द्यानतराय के साहित्य में प्रतिबिम्बित अध्यात्म चेतना ने अडिल्ल छन्द का प्रयोग नरक वर्णन, सप्त व्यसन त्याग वर्णन आदि वर्णनात्मक स्थलों पर किया है। ..(6) पद्धड़ी- यह मात्रिक सम छन्द है। अपभ्रंश साहित्य में सामान्य वर्णन में उसका प्रयोग किया गया है। हिन्दी में चारण कवियों ने सामान्य वर्णन की परम्परा को गौण रखकर युद्धवर्णन एवं वीररस के वर्णन के लिए इसका प्रयोग किया है। कवि ने इसके प्रयोग में हिन्दी की परम्परा का निर्वाह न करते हुए अपभ्रंश की सामान्य परम्परा का पालन किया है।25 (1) कुण्डलिया - यह एक मात्रिक छन्द है। यह छन्द अपभ्रंश से लेकर आज तक हिन्दी में व्यवहृत होता रहा है। हिन्दी साहित्य के रीतिकाल में भक्त एवं नीतिवेत्ता कवियों द्वारा कुण्डलिया छन्द का सर्वाधिक व्यवहार हुआ है। द्यानतराय के प्रकीर्ण साहित्य में, उपदेश शतक, दान बावनी, ज्ञानदशक आदि में इसका प्रयोग किया है। (8) सवैया- सवैया वार्णिक छन्द होता है और इसके प्रत्येक चरण में 22 से लेकर 26 तक वर्ण होते हैं, जिनमें गणों का निश्चित क्रम रहता है। इस प्रकार 22 से लेकर 26 वर्णों तक के चरण रखनेवाले छन्द को सवैया कहते हैं। द्यानतराय ने भगण से बननेवाले मदिरा सवैया एवं मत्तगयन्द सवैयों का प्रयोग उपदेश शतक में किया है। (9) कवित्त- यह लय-प्रधान अगणात्मक और यत्यात्मक वार्णिक छन्द होता है। सोलह और पन्द्रह वर्गों पर विराम के साथ यति, चारुता के लिए अन्त में गुरु वर्ण रखते हुए इसमें 31 वर्ण होते हैं। इसे 'मनहरण' या 'घनाक्षरी' भी करते हैं। इसमें गति पर विशेष ध्यान रखा जाता है, जो दो प्रकार की होती है। प्रथम है सत्वर गति और दूसरी है मन्थर गति। सत्वर गति वाले कवित्त को घनाक्षरी और मन्थर गति वाले को मनहरण कहते हैं। द्यानतराय ने अपने काव्य में दोनों का प्रयोग किया है। इसके अतिरिक्त द्यानतसाहित्य में ऐसे छन्दों का भी उल्लेख मिलता है, जो तत्कालीन प्रचलित राग और छन्दों के मिश्रित रूप कहे जा सकते हैं। ये छन्द हैं- चाल", पुष्पमंजरी", ढाल, गौरी राग, मोतीदाम, भुजंगप्रयात एवं मल्लिकामाला' आदि। कवि द्यानतराय की रचनाओं में विभिन्न छन्दों का प्रयोग इस प्रकार है - (1) उपदेश शतक - छप्पय, सवैया इकतीसा, करला, कुण्डलिया,
SR No.007148
Book TitleAdhyatma Chetna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNitesh Shah
PublisherKundkund Kahan Tirth Suraksha Trust
Publication Year2012
Total Pages226
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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