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________________ 20 मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल क्रियाकाण्ड से ऊपर उठकर अध्यात्म की ओर जनता को मोड़ा है। डॉ. भारिल्ल जी एक महान वक्ता एवं अध्यात्म के ज्ञानी हैं, मैंने उन्हें नजदीक से देखा एवं परखा है, दिगम्बर सन्तों के प्रति इनके विनम्र भाव एवं उनके त्याग के प्रति असीम श्रद्धा है। - पद्मश्री बाबूलाल पाटोदी, पूर्व विधायक, इन्दौर (म.प्र.) प्रामाणिक ज्ञान साधना । डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल इस युग के अत्यधिक प्रभावशाली प्रवक्ता, लेखक, कहानीकार, उपन्यासकार और समाज-सेवी हैं। उनकी हमारे जैन-अनुशीलन केन्द्र के कार्यक्रमों में सदा सहभागिता रही है। मैंने उनका एक घण्टे तक धाराप्रवाह आकर्षक प्रवचन सुना है। उनके प्रवचन इतने ठोस एवं प्रभावशाली होते हैं, जिन्हें सुनकर जनता गद्गद हो जाती है। विद्वत्ता, वक्तृता और लेखन - तीनों की दृष्टि से उनकी सरस्वती अद्वितीय है। विषय को सरल एवं सुपस्पष्ट करना और विचारों की छाप श्रोता पर छोड़ देना, उनकी निजी विशेषता है । उनकी वाणी बड़े कोलाहल में भी नीरवता ला देती है और सुननेवाला उनकी दो टूक बातों को सुनकर उन पर विचार करने और कार्य करने को मजबूर होता है। डॉ. भारिल्लजी की प्रामाणिक ज्ञान-साधना अद्भुत रूप से धारावाही तथा अखण्ड रही है। आपका सुसंस्कृत व्यक्तित्व समाज के लिए आदर्श एवं वरदान स्वरूप रहा है। - प्रो. के.एल. कमल, कुलपति राजस्थान विश्वविद्यालय, जयपुर एक विरल व्यक्तित्व डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल यशस्वी वक्ता, सिद्धहस्त लेखक एवं अच्छे काव्यकार हैं। उनके लेखन एवं प्रवचन अविराम चलते हैं। लेखन की असामान्य प्रतिभा के कारण वे अपना शोध-प्रबन्ध ‘पण्डित टोडरमल : व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व', 'तीर्थंकर महावीर और उनका सर्वोदय तीर्थ', ‘क्रमबद्धपर्याय', 'परमभावप्रकाशक नयचक्र' जैसे लगभग 80 तात्त्विक
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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