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________________ मनीषियों की दृष्टि में : डॉ. भारिल्ल ग्रन्थों का प्रणयन कर काफी लोकप्रिय हुए हैं और जिनका अनेक भाषाओं में अनुवाद हुआ है एवं जो लाखों की संख्या में विक्रय होकर घर-घर पहुँचे हैं। अपनी इन रचनाओं एवं तात्त्विक तर्कशैली के कारण वे पूज्य गुरुदेवश्री के प्रशंसा के पात्र रहे हैं। पूज्य गुरुदेवश्री से तत्त्वग्रहण करके उन्होंने आजीवन तत्त्वप्रचार का जो व्रत लिया, उसे वे अखण्ड निभा रहे हैं। समाज को उन्होंने काफी दिया है और उसी से उपकृत समाज उन्हें अनेक बार सम्मानित भी कर चुका है। एक सामान्य अध्यापक से उठकर सर्वतोन्मुखी प्रतिभा के धनी डॉ. भारिल्ल ने उन्नयन के शिखर को छुआ है। सचमुच यह उनके व्यक्तित्व की विरलता है। आज डॉ. भारिल्ल स्मारक के साथ अपने गहरे एकत्व के कारण स्मारक के ही पर्याय बन गए हैं। ___मेरी कामना है कि डॉ. भारिल्ल परिवार युग-युग-जिए और पूज्य गुरुदेवश्री की तत्त्वधारा को उस युगान्तर की अनन्तता में ले जाए, जहाँ अध्यात्म के शिखर पर पूज्य गुरुदेवश्री के भवान्तक तत्त्व की ध्वजा चिरअनन्त तक फहराती रहे। - बाबू जुगलकिशोर 'युगल', कोटा उनका जीवन-व्रत अनुकरणीय है तत्त्वज्ञान के प्रचार से प्राणीमात्र के उद्धार के लिए सम्पूर्ण जीवन न्यौछावर करने का उनका जीवन-व्रत अनुकरणीय है, अभिनन्दनीय है। सिद्धान्त समझाना तो सरल भी हो सकता है, पर स्वयं अपने पर उनका सफल प्रयोग दुर्लभ है। पण्डितजी ने सादगी से उन सिद्धान्तों को स्वतः ओढ़कर जो आदर्श उपस्थित किया है, वह उनके प्रवचन को सुग्राह्य बना देता है। - निर्मलचन्द्र जैन, राज्यपाल : राजस्थान सरकार, जयपुर
SR No.007144
Book TitleManishiyo Ki Drushti Me Dr Bharilla
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRavsaheb Balasaheb Nardekar
PublisherP T S Prakashan Samstha
Publication Year2012
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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