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________________ पोयूषवर्षिणी-टीका सु. ६० कूणिकस्य स्वस्थाने गमनम्. ४८९ मूलम्-तए णं से कूणिए राया भंभसारपुत्ते समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्मं सोचा णिसम्म हहतुट्ट-जाव-हियए उठाए उढेइ, उहित्ता समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ, करित्ता वंदइ, णमंसइ, टीका--'तए णं से' इत्यादि । 'तए णं से कूणिए राया भभसारपुत्ते' ततः खलु स कूणिको राजा भंभसारपुत्रः, 'समणस्स भगवओ महावीरस्स अंतिए धम्म सोचा णिसम्म' श्रमणस्य भगवतो महावीरस्याऽन्तिके धर्म श्रुत्वा निशम्य, 'हट्ठतुट-जाव-हियए' हृष्ट-तुष्ट-यावद्धृदयः ‘उट्ठाए उठेइ ' उत्थयोत्तिष्ठति, ‘उद्वित्ता' उत्थाय श्रमणस्य भगवतो महावीरस्य ‘तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ' त्रिकृत्व आदक्षिणप्रदक्षिणं करोति, 'करित्ता' कृत्वा 'वंदइ णमंसइ' वन्दते नमस्यति, 'वंदित्ता 'तए णं से कूणिए राया' इत्यादि । (तए णं) अनन्तर (से कूणिए राया भंभसारपुत्ते) भंभसार के पुत्र उन कूणिक राजाने (समणस्स भगवओ महावीरस्स) श्रमण भगवान् महावीर के (अंतिए) पास में (धम्मं सोचा) धर्मोपदेश सुनकर, (णिसम्म) एवं उसका अच्छी तरह पूर्वापररूप से विचार कर, (इट-तुटु-जाव-हियए) चित्त में अधिक से अधिक आनंद एवं संतोष प्राप्त किया, (उदाए उद्देइ) बाद में अपने स्थान से उठे और (उद्वित्ता) उठकर (समणं भगवं महावीरतिक्खुत्तो अयाहिणपयाहिणं करेइ करित्ता वंदइ णमंसइ) उन्होंने श्रमण भगवान महावीर की तीनवार आदक्षिणप्रदक्षिणपूर्वक वंदना एवं नमस्कार किया, (वंदित्ता णमंसित्ता एवं "तए णं से कूणिए राया” त्याहि. (तए णं) त्यार पछी (से कूणिए राया भंभसारपुत्ते) मनसायना पुत्र त खि २ (समणस्स भगवओ महावीरस्स) श्रभर लगवान महावीरनी (अंतिए) पासे (धम्मं सोच्चा) ध पहेश सालमीन, (णिसम्म) तभ० तेने भारी शत पूर्वा५२३५था विया२ ४शने, (हट्ठ-तुट्ठ-जाव-हियए) मनमा गई " मान तम०४ सवाष पास ४यो, (उढाए उद्वेइ) त्या२ पछी पोताना स्यानेथी ४या, अने (उद्वित्ता) हीन (समणं भगवं महावीरं तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणं करेइ करित्ता वंदइ णमंसइ) तभणे श्रम लगवान महापारने - पा२ क्षि-क्षिणपूर्व४ पन तमा नभ२४२ ४ा. (वंदित्ता णमंसित्ता
SR No.006340
Book TitleAgam 12 Upang 01 Auppatik Sutra Sthanakvasi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGhasilal Maharaj
PublisherA B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
Publication Year1959
Total Pages824
LanguageSanskrit, Hindi, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_aupapatik
File Size24 MB
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