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विषय
२ प्रथम गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
३ भगवान् महावीरस्वामीके चरित्रवर्णन का प्रस्ताव | भगवान् महावीरस्वामी उत्थित हो प्रव्रज्याकालको जान कर हेमन्त ऋतु प्रत्रजित हुए, और प्रव्रज्या ग्रहण कर तुरन्त ही वहां से विहार किये ।
४ दूसरी गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
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५ भगवान् ने जो वस्त्र धारण किया था वह तीर्थङ्करपरम्परा के रक्षार्थ; नहीं कि हेमन्तऋतु में शरीरमच्छादन निमित्त ।
६ तीसरी गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
७ भगवान के शरीरपर भ्रमरादि प्राणी कुछ अधिक चार महीनों तक चन्दनादिकी गन्धसे आकृष्ट हो कर विचरते थे और रक्तमांसकी अभिलाषासे उनके शरीरको डसते थे ।
८ चौथी गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
९ भगवान्ने एक वर्ष से कुछ अधिक काल तक वस्त्र धारण किया, उसके बाद वस्त्र त्याग कर वे अचेल हो गये ।
१० पांचवीं गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
११ भगवान् जब रास्ता में विहार करते थे तो बालकगण उन्हें देख कर धूलि - पत्थर आदिका प्रक्षेप करते थे, और उनको देखनेके लिये दूसरे बालकों को भी बुलाते थे ।
१२ छठी गाथाका अवतरण, गाथा और छाया ।
१३ भगवान् जब किसी वासस्थानमें विराजते थे, जहां कि स्त्री पुरुष आदि सभी रात्रवासके लिये ठहरते थे। वहां किसी स्त्रीद्वारा प्रार्थित होने पर भी भगवान् उनकी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते, अपि तु संयम मार्ग में अपनी आत्माको स्थापित कर ध्यान करते थे ।
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શ્રી આચારાંગ સૂત્ર : ૩
पृष्ठाङ्क
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