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________________ 48... प्रतिष्ठा विधि का मौलिक विवेचन जाजम ऋतुवती न हुई हो ऐसी कुमारी कन्याओं के हाथ से पूज्य गुरु भगवंत से मुहूर्त लेकर बिछाने की पद्धति है। जाजम बिछाने के बाद पूज्य आचार्य भगवंतों के कर-कमलों से जाजम पर वासक्षेप कराने की भी परम्परा है। इन बोलियों के लाभ लेने वाले भाइयों का नाम देना या नहीं, देना हो तो कितने अक्षरों में देना, उनका शिलालेख मंदिर में किस स्थान पर लगाना इत्यादि श्रीसंघ की साधारण सभा सर्वानुमति से तय कर सकती हैं। प्राचीन युग में प्रतिष्ठा के शिलालेख मंदिर के गर्भगृह में पबासन के नीचे लगाये जाते थे परन्तु वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसे मंदिर के भीतर में न रखकर बाहर की दिवार पर या अन्य किसी स्थान में लगाया जाये, किन्तु प्रतिष्ठा का शिलालेख होना जरूरी माना गया है। पाँचों कल्याणकों की बोलियाँ भगवान की भक्ति के निमित्त ही की जाती हैं। इन बोलियों से एकत्रित हुई राशि के द्वारा भगवान की आंगियाँ, आभूषण आदि करवायें तो अत्यधिक अच्छा है। मन्दिर के कोई भी विभाग को बनाने में और मरम्मत करवाने में भी यह आमदनी काम में ली जा सकती है। कई अल्पज्ञ यह कहते हैं कि भगवान की प्रतिमा पूजनीय तो तब बनती है जब अंजनशलाका हो जाये, अत: अंजन के पहले की सभी बोलियों का उपयोग साधारण में भी किया जा सकता है। प्रथम तो यह कोरा युक्तिवाद है। दूसरी बात यह है कि अंजनशलाका महोत्सव ही जिन भक्ति महोत्सव है, अत: वह प्रतिमा कब पूजनीय बनी यह नहीं देखते हुए गलती से भी इन बोलियों की आमदनी देवद्रव्य के सिवाय और किसी खाते में जमा न करें। जिनप्रतिमा एवं जिनमन्दिर इन दो क्षेत्रों के सिवाय और कोई क्षेत्र में उनका व्यय न करें। पूजनों की बोली . अंजनशलाका एवं प्रतिष्ठा के दिनों में अनेक पूजन किये जाते हैं जैसेबीस स्थानक पूजन, नंद्यावर्त पूजन, दिक्पाल पूजन, अष्ट मंगल पूजन, नवग्रह पूजन (पाटला पूजन) देवी-देवता पूजन, ध्वजदंड पूजन, प्रासाद पुरुष पूजनइन प्रत्येक पूजनों में अनेक विभाग हैं। उदाहरण के लिए देखा जाए तो बृहद नंद्यावर्त पूजन में ही कुल 360 पूजन किये जाते हैं। इस तरह के विधानों में अधिक से अधिक लोगों को लाभ देकर जोड़ा जा
SR No.006251
Book TitlePratishtha Vidhi Ka Maulik Vivechan Adhunik Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages752
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size15 MB
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