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________________ 312... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... कुमारपाल महाराजा द्वारा प्रतिदिन सुवर्ण कमलों से गुरु पूजा करने संबंधी नियम का उल्लेख है।88 शत्रुंजय महात्म्य में जिनपूजा के महत्त्व को दर्शाते हुए भरतचक्रवर्ती द्वारा की गई पूजा का वर्णन किया गया है 1 89 संबोध प्रकरण में त्रिविध पूजा विधियों का प्ररूपण करते हुए विघ्नोपशमिका, अभ्युदयप्रसाधिनी और निर्वृत्तिकारिणी इन तीन पूजाओं का उल्लेख है। 90 चारित्रसुन्दरगणिकृत आचारोपदेश के अनुसार भृंगार से लाए हुए जल द्वारा जिन प्रतिमा को स्नान करावें तथा अच्छे वस्त्र से पोंछने के बाद आठ प्रकार की पूजा करें। 91 इसमें चंदनपूजा, पुष्पपूजा, धूपपूजा, अक्षतपूजा, फलपूजा नैवेद्य पूजा, दीपपूजा और जलपूजा रूप आठ पूजाओं का विधान है। प्रस्तुत ग्रंथ में वर्णित क्रम से यह ज्ञात होता है कि इस ग्रंथ के रचना काल तक यद्यपि जिनप्रतिमा स्नान का विधान सर्वत्र प्रचलित हो चुका था परन्तु अष्टप्रकारी पूजा में उसे स्थान नहीं मिला था। सर्वप्रथम विलेपन पूजा के रूप में चंदनपूजा की जाती थी। जल पात्र को केवल सामने भरकर रखा जाता था। नवांगी पूजा का विवरण भी आचारोपदेश ग्रंथ में प्राप्त होता है। वर्तमान प्रचलित पूजा विधि में इसी का अनुकरण प्रतीत होती है। आचार्य उमास्वाति वर्णित इक्कीस प्रकार की पूजा का वर्णन भी इस ग्रंथ में प्राप्त होता है। उपाध्याय मानविजयजी ने धर्मसंग्रह में श्राद्धविधि टीका के अनुसार सत्रह पूजा का वर्णन किया है। इसी के साथ नव तिलक से निरन्तर जिनपूजा करने, प्रभात में सर्वप्रथम वासपूजा, मध्याह्नकाल में पुष्पपूजा एवं सन्ध्या में धूप-दीप एवं नैवेद्य से पूजा करने तथा धूप को बायीं तरफ और नैवेद्य को सन्मुख रखने का वर्णन है। नवतिलक पूजा किस द्रव्य से एवं किस समय की जाए इसका कोई उल्लेख ग्रंथकार ने नहीं किया है। 192 आचार्य जिनलाभसूरि ने भी आत्मप्रबोध में सत्रहभेदी पूजा का वर्णन किया है। श्राद्धविधि में वर्णित सहभेदी पूजा और प्रस्तुत पूजा में परस्पर किंचिद अन्तर है। जैसे श्राद्धविधि में वर्णित दीपक, नैवेद्य, श्रेष्ठ फल आदि का वर्णन इनमें नहीं है तथा अष्टमंगल एवं ध्वज पूजा का वर्णन श्राद्धविधि की सत्रह प्रकारी पूजा में नहीं है।93
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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