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________________ जिन पूजा विधि की त्रैकालिक आवश्यकता एवं... ...265 के शुभाशुभ भावों में आकार की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है। आकार के आकर्षण के कारण ही घरों के शो केस आदि में विविध प्रकार के खिलौने, मूर्तियाँ आदि रखी जाती हैं। वर्तमान समय में तो विज्ञापनों का मुख्य आधार ही आकृति, उसकी सुंदरता, मन मोहकता आदि है। प्रारंभिक शिक्षा के दौरान बच्चों अक्षरज्ञान के लिए चित्र ही उपयोगी बनते हैं । पिरामिड में रखी गई लाशें वर्षों तक नहीं सड़ती थी, इसका मुख्य कारण उसका आकार ही है। जिनेश्वर देव की प्रतिमा विश्व का सर्वश्रेष्ठ एवं शुद्ध आकार है। प्रभु की आत्मा विश्व में सबसे ऊँची है, इसीलिए उन्हें परमात्मा का संबोधन दिया गया है। इसी प्रकार प्रभु का जीवन, प्रभु के गुण, प्रभु के अतिशय, प्रभु की महिमा, प्रभु का नाम और प्रभु की प्रतिमा का आकार सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वोपरि है, जिसकी बराबरी दुनिया में कोई नहीं कर सकता। जिन प्रतिमा को एक टक निहारने तथा उसका ध्यान करने से अशांत मन को शांति, भटकते हुए मन और आँखों को एक सुंदर आलंबन तथा मार्ग भ्रष्ट जीवों को सन्मार्ग की प्राप्ति होती है। किसी कवि ने बहुत ही सुंदर कहा है दादा तारी मुखमुद्रा देखी, अमीय नजरे निहाली रहयो । तारा नयनो मांथी झरतुं, दिव्य तेज थी झीली रहयो ।। क्षण भर आ संसारनी माया, तारी भक्तिमां भूली गयो । तुज मूर्तिमां मस्त बनीने, आत्मिक आनंद भाली रहयो ।। जिन प्रतिमा का अंग-प्रत्यंग भक्त हृदय में नवीन शक्ति का संचार करता है। संसार की समस्त विपदाओं, राग-द्वेष, दुख-दर्द आदि को दूर करता है। विकार रहित परमात्मा की मूर्ति साधक के मन को विषय-विकारों से मुक्त कर वैराग्य रस से आप्लावित करती है। आनंदघनजी विमलनाथ भगवान के स्तवन में कहते हैं अमीय भरी मूर्ति रची रे, उपमा न घटे कोय । शांत सुधारस झीलता रे, निरखत तृप्ति न होय ।। परमात्मा की मूर्ति इतनी शीतल - शांत- मोहक एवं अमृत रस बरसाने वाली है, विश्व में उसे देने योग्य कोई उपमा ही नहीं हैं। जिन प्रतिमा का आकार भी यदि मन-मस्तिष्क में स्थापित हो जाए तो उस आकार की स्मृति भी कई बार जीव के आत्म कल्याण में निमित्त बनती है । इस विषय में जिनबिम्ब के आकार
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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