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________________ मन्दिर जाने से पहले सावधान ... ...195 (संडास) करना 3. जूते-चप्पल पहनना 4. पानी पीना 5. भोजन करना 6. शयन, करना 7. मैथुन सेवन करना 8. मुखवास (पान-सुपारी आदि) खाना 9. जुआ खेलना 10. थूकना 11. जूं - मकड़ी आदि निकालना 12. स्त्री कथा, राजकथा, देश कथा, भक्त कथा (भोजन कथा) आदि विकथा करना 13. पालथी मारकर बैठना 14. पैर लंबे करके बैठना 15. लड़ाई करना 16. हंसी मशकरी करना 17. ईर्ष्या करना 18. सिंहासन कुर्सी बाजोट आदि उच्च स्थान पर बैठना 19. देहविभूषा करना 20. छत्र धारण करना 21. तलवार रखना 22. मुकुट आदि पहनना 23. स्वयं के लिए चामर आदि डुलाना 24 .. उधार द्रव्य लेकर परमात्म भक्ति करना 25. स्त्री आदि के साथ वचन से कामविकार, हास्य-विनोद आदि करना 26. किसी भी प्रकार की क्रीड़ा आदि करना 27. मुखकोश बांधे बिना जिनपूजा करना 28. अशुद्ध, मलिन या अपवित्र शरीर से जिनपूजा करना 29. पूजा में चित्त को अस्थिर करना 30. सचित्त का अत्याग करना 31. अचित्त का त्याग करना 32. उत्तरासंग आदि धारण नहीं करना 33. परमात्म दर्शन होने के बाद भी हाथ न जोड़ना 34. शक्ति होने पर भी परमात्म पूजा नहीं करना 35. भक्ति-ब 5- बहुमान रहित पूजा करना 36. तुच्छ, अयोग्य पदार्थ चढ़ाना 37. परमात्म निंदा करने वाले को नहीं रोकना 38. देवद्रव्य का विनाश होते देख उपेक्षा करना 39. शक्ति होने पर भी मंदिर जाने हेतु वाहन का प्रयोग करना 40. बड़ों से पहले चैत्यवंदन आदि करना। इस प्रकार यह 40 मध्यम प्रकार की आशातनाएँ बताई गई हैं जिन्हें टालने का प्रयास प्रत्येक श्रावक को करना चाहिए। जिनमन्दिर सम्बन्धी उत्कृष्ट 84 आशातनाएँ श्राद्धविधि प्रकरण के अनुसार जिनालय में 1. नाक का मल डालना 2. जुआ, शतरंज चोपट, ताश आदि खेलना 3. लड़ाई-झगड़ा करना 4. धनुष आदि कलाएँ सीखना 5. कुल्ला करना 6. पान-सुपारी खाना 7. पान का पीक मंदिर में थूकना 8. गाली देना 9. संडास, पेशाब आदि करना 10. हाथ, पाँव, मुख आदि धोना 11. बाल सँवारना 12. नाखून निकालना 13. खून गिराना 14. चढ़ाई हुई मिठाई आदि खाना 15. फोड़े-फुन्सी आदि की सूखी चमड़ी उतारकर फेंकना 16. पित्त गिराना 17. वमन करना 18. दाँत गिरने पर मंदिर में डालना 19. आराम करना 20. गाय, भैंस, ऊँट - बकरे आदि का दमन करना 21-28. दाँत, आँख, नाखून, गाल, कान, नाक, सिर एवं शरीर का मैल डालना 29.
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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