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________________ अष्ट प्रकारी पूजा का बहुपक्षीय अनुशीलन ...123 जिस प्रकार पुष्प सुगन्धी, कोमल एवं चित्त को आनंद में रमाने वाला होता है उसी तरह हमारा मन भी परदुख में कोमल, दूसरों को सुख-शान्ति देने वाला बनें, इन सब हेतुओं से पुष्प पूजा करनी चाहिए। पुष्प पूजा के विविध पक्ष पुष्प पूजा करने हेतु पुष्प कैसे हों ? उन्हें कहाँ से कैसे लाया जाए? आदि कई महत्त्वपूर्ण पहलू हैं। जैन शास्त्रकारों के अनुसार परमात्मा को चढ़ाने हेतु शुद्ध, ताजे, पूर्ण विकसित, अखंड एवं पवित्र भूमि में उत्पन्न सुंदर पुष्पों का ही प्रयोग करना चाहिए। चढ़ाने योग्य पुष्प जीव-जन्तु रहित, ताजे हों, वे जमीन पर गिरे हुए तथा Cold Storage आदि से खरीदे हुए नहीं होने चाहिए। पुष्पों को गंदे वस्त्र या पात्र में नहीं रखें। फूलों को पानी में भिंगाकर नहीं रखना चाहिए। इससे उसमें रहे हुए कुंथुआ आदि जीव हिंसा की संभावना रहती है। पुष्पमाला बनाने हेतु सूई आदि से पुष्पों को बिंधना नहीं चाहिए । ' यदि शुद्ध एवं उत्तम कोटि (Quality) के पुष्प उपलब्ध नहीं हों तो सोने अथवा चाँदी के पुष्प बनाकर भी चढ़ा सकते हैं। चावल को केसर में रंगकर या पुष्प के स्थान पर लोंग आदि चढ़ाने की परम्परा भी देखी जाती है । पुष्प पूजा हेतु सर्वप्रथम तो श्रावक को स्वयं ही पुष्प एकत्रित करने चाहिए। पूर्वकाल में श्रावक बगीचों में चादर बिछा देते थे और जो पुष्प स्वयं से चादर पर झड़ जाते थे उन्हें पूजा में प्रयुक्त किया जाता था। कहीं-कहीं मन्दिरों में ही बगीचे की व्यवस्था होती है तो कई श्रावक अपने घर में भी पौधे लगाकर उन पुष्पों का प्रयोग परमात्म पूजा में करते हैं । वर्तमान में अधिकांश स्थानों पर माली को आर्डर देकर पुष्प मंगवाए जाते हैं। अनेक मन्दिरों एवं तीर्थ स्थलों में बाहर फूलवाले बैठते भी हैं। जहाँ पर माली द्वारा पुष्प मंगवाएँ जाते हैं वहाँ का माली जयणा एवं शुद्धता का पूर्ण ध्यान रखता है या नहीं? यह सावधानी अवश्य रखनी चाहिए। जो लोग मन्दिरों में उपलब्ध पुष्पों का प्रयोग करते हैं उन्हें तद्योग्य द्रव्य भंडार में अवश्य डालना चाहिए। फूलों को यदि डाली से अलग करना हो तो अति सावधानी पूर्वक उनका छेदन करना चाहिए, जिससे उन्हें अति पीड़ा न
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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