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________________ 36... पूजा विधि के रहस्यों की मूल्यवत्ता - मनोविज्ञान एवं अध्यात्म... • जिनमन्दिर की सीढ़ियों पर प्रथम दाहिने पैर को रखें। • जिनेश्वर परमात्मा के मुख दर्शन होते ही अंजलिबद्ध प्रणामपूर्वक 'नमो जिणाणं' कहें। • पुरुषवर्ग परमात्मा की दायीं तरफ और महिलाएँ परमात्मा की बायीं तरफ खड़ी रहें। वहीं से परमात्मा का भाववाही स्तुतियों से गुणगान करें। • फिर दोहा बोलते हुए परमात्मा की तीन प्रदक्षिणा दें। • उसके बाद दूसरी निसीहि का उच्चारण करते हुए मूल गर्भगृह में प्रवेश करें। फिर निर्माल्य द्रव्य को दूर करके, वासक्षेप पूजा करें। • फिर गंभारे से बाहर आकर धूप, दीप, चामर, दर्पण, अक्षत, नैवेद्य एवं फल पूजा के द्वारा परमात्मा की द्रव्य पूजा करें। • द्रव्य पूजा पूर्ण होने के पश्चात तीसरी निसीहि का उच्चारण करते हुए भावपूजा रूप चैत्यवंदन करें। • उसके बाद सामर्थ्य अनुसार नवकारसी आदि का प्रत्याख्यान ग्रहण करें। • शक्ति अनुसार भंडार भरें। • परमात्म दर्शन का आनंद अभिव्यक्त करने हेतु घंटनाद करते हुए इस प्रकार जिनालय से बाहर निकलें जिससे कि परमात्मा की ओर पीठ न हो। • शुभ भावों को स्थिर करने हेतु कुछ समय के लिए शुभ चिंतन करते हुए जिनालय के बाहर बैठे। • तदनन्तर पुन: आने की भावना करते हुए तीन बार आवस्सही कहकर घर की ओर प्रयाण करें। मध्याह्नकालीन पूजा का मार्मिक अनुक्रम त्रिकालपूजा के अन्तर्गत दूसरे क्रम पर मध्याह्नकालीन पूजा का वर्णन है। आजकल प्रात: वेला में जो अष्टप्रकारी पूजा सम्पन्न की जाती है उसका शास्त्रोक्त समय मध्याह्नकाल ही है। मध्याह्नकालीन पूजा का विधिक्रम निम्न प्रकार है-2 • सर्वप्रथम अपने घर में अथवा मन्दिर परिसर में स्नान करके देह शुद्धि करें। यहाँ पूर्व दिशा की ओर मुख करके जयणापूर्वक कम से कम पानी में देहशुद्धि करनी चाहिए तथा संभव हो तो परात आदि में बैठकर शुद्धि करनी चाहिए। उस जल को खुली छत आदि पर परठना (डालना) चाहिए।
SR No.006250
Book TitlePuja Vidhi Ke Rahasyo Ki Mulyavatta
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages476
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size32 MB
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