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________________ 154...जैन मुनि की आचार संहिता का सर्वाङ्गीण अध्ययन 27. (क) ओघनियुक्ति, 709-710 (ख) पंचवस्तुक, 815 (ग) प्रवचनसारोद्धार, 514 28. (क) ओघनियुक्ति, 711 (ख) पंचवस्तुक, 816 (ग) प्रवचनसारोद्धार, 509 (क) ओघनियुक्ति, 712 (ख) पंचवस्तुक, 817 (ग) प्रवचनसारोद्धार, 515 30. (क) पंचवस्तुक, 818-819 (ख) प्रवचनसारोद्धार, 510-511 . 31. पंचवस्तुक, 820 32. (क) ओघनियुक्ति, 721 (ख) पंचवस्तुक, 821 (ग) प्रवचनसारोद्धार, 512 33. (क) ओघनियुक्ति 722 (ख) पंचवस्तुक, 822 (ग) प्रवचनसारोद्धार, 518 34. (क) प्रवचनसारोद्धार, 513 (ख) ओघनियुक्ति, 724 35. पंचवस्तुक 824 36. (क) ओघनियुक्तिभाष्य, 313 (ख) पंचवस्तुक, 825 की टीका (ग) प्रवचनसारोद्धार, 531 की टीका 37. (क) ओघनियुक्ति, 314 (ख) पंचवस्तुक, 826 की टीका (ग) प्रवचनसारोद्धार, 532 की टीका 38. (क) ओघनियुक्ति, 315 (ख) पंचवस्तुक, 827 की टीका (ग) प्रवचनसारोद्धार, 533 की टीका 39. (क) ओघनियुक्ति 316-317 (ख) पंचवस्तुक, 828-829 की टीका
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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