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________________ मुनियों के पारस्परिक आदान-प्रदान (साम्भोगिक) सम्बन्धित... ...117 5. दान संभोग - इस व्यवस्था के अनुसार समानकल्पी अथवा सांभोगिक साधुओं को शय्या आदि देना अथवा परस्पर में शय्यादि के लेन-देन का व्यवहार करना दान संभोग है। ___ यह संभोग छह प्रकार से संभव होता है - 1. शय्या 2. उपधि 3. आहार 4. शिष्यगण 5. स्वाध्याय और 6. संयोग विधिविभक्त। ____6. निकाचना (निमन्त्रण) संभोग- समानकल्पी साधुओं को आहार आदि के लिए निमन्त्रित करना निकाचना संभोग है। इसके भी शय्या, उपधि आदि छह स्थान हैं। ___7. अभ्युत्थान संभोग - इस व्यवस्था के अनुसार समानकल्पी ज्येष्ठ साधुओं को आते हुए देखकर आसन से उठना, उनका विनय आदि करना अभ्युत्थान संभोग है। यह सांभोगिक व्यवहार छह प्रकार से होता है1. अभ्युत्थान-ज्येष्ठ मुनि के आने पर खड़े होना 2. आसन-आगन्तुक ज्येष्ठ भिक्षु को आसन देना 3. किंकर-आचार्य आदि से कहना-आज्ञा दीजिए, मैं आपकी क्या सेवा करूँ? 4. अभ्यासकरण-आचार्य के समीप रहना 5. अविभक्ति-अन्य सांभोगिक के साथ एक मण्डली में भोजन नहीं किया जाता, उनकी अविभक्ति की जा सकती है, जैसे स्थविरा साध्वी को कहना-तुम हमारी माता के समान हो और 6. संयोग-उक्त सभी नियमों का पालन करना। ___8. कृतकर्म करण संभोग - समानकल्पी मुनियों को विधिपूर्वक वंदना आदि करना कृतकर्मकरण संभोग है। इस संभोग रूप व्यवहार के छह प्रकार हैं1. सूत्र-वंदनसूत्रों का अस्खलित उच्चारण करना 2. आयाम-सूत्रोच्चारण-युक्त आवर्त देना 3. शिरोनत-सूत्रोच्चारणपूर्वक शिरोनमन करना 4. मूर्धा-वन्दना सूत्र की समाप्ति पर केवल सिर झुकाना 5. सूत्रवर्जित-यदि मुखरोग हो तो मानसिक सूत्रोच्चारण करते हुए आवर्त आदि समस्त क्रियाएं करना और 6. संयोग-उपर्युक्त सभी नियमों का पालन करना। 9. वैयावृत्त्यकरण संभोग - इस व्यवस्था के अनुसार समानकल्पी साधुओं को आहार-उपधि आदि देना, उनका मूत्रादि विसर्जित करना, कलहशमन करना, वृद्ध आदि मुनियों का सहयोग करना वैयावृत्त्यकरण संभोग है। ___10. समवसरण संभोग - इसके अनुसार व्याख्यान, वर्षावास, वाचना आदि के समय समानकल्पी साधुओं द्वारा एक स्थान पर एकत्रित होकर रहना समवसरण संभोग है।
SR No.006242
Book TitleJain Muni Ki Aachar Samhita Ka Sarvangin Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages472
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & D000
File Size32 MB
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