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________________ क्षुल्लकत्वग्रहण विधि की पारम्परिक अवधारणा... 15 सूरिमन्त्र या गणिविद्या से वासचूर्ण को अभिमन्त्रित कर शिष्य के मस्तक पर उसका क्षेपण करें। देववन्दन - तत्पश्चात व्रतग्राही श्रावक समवसरण की तीन प्रदक्षिणा दें। फिर गुरु के समक्ष एक खमासमण देकर कहे - "इच्छाकारेण तुन्भे अम्हं पंचमहव्वयाणं अवहि आरोवणियं चेइयाइं वंदावेह" तब गुरु और शिष्य दोनों जिसमें अक्षर एवं स्वर क्रमश: बढ़ते हुए हों ऐसी चार स्तुतियाँ तथा शान्तिनाथदेवता, श्रुतदेवता, क्षेत्रदेवता, भुवनदेवता, शासनदेवता, समस्तवैयावृत्यकरदेवता - कुल दस स्तुतियाँ पूर्वक देववन्दन करें। अर्हणादिस्तोत्र बोलें। कायोत्सर्ग - उसके पश्चात दीक्षाग्राही शिष्य एक खमासमणसूत्र द्वारा वन्दन कर कहे - "भगवन्, पंचमहव्वयाणं अवहि आरोवणियं नंदिकड्डावणियं काउस्सग्गं करेमि।" गुरु कहे- 'करेह'। तब दीक्षा इच्छुक श्रावक अन्नत्थसूत्र बोलकर 'सागरवरगम्भीरा' पर्यन्त एक लोगस्ससूत्र का कायोत्सर्ग करें। कायोत्सर्ग पूर्णकर प्रकट में लोगस्ससूत्र बोलें। तदनन्तर दीक्षाग्राही मुखवस्त्रिका का प्रतिलेखन कर द्वादशावर्त वन्दन करें। समुद्देश - उसके बाद दण्डक उच्चरित करने हेतु दीक्षाग्राही एक खमासमण द्वारा वन्दन करके कहे - "भयवं इच्छाकारेण तुब्भे अम्हं पंचमहव्वयाणं अवहिआरोवणं समुद्दिसह" हे भगवन् ! आप अपनी इच्छा से, मुझे एक निश्चित अवधि के लिए पंचमहाव्रत स्वीकार हेतु अनुमति प्रदान करें। तब गुरु कहे - 'समुदिसामि' मैं सम्यक्रूप से अनुमति देता हूँ। व्रतग्रहण - तदनन्तर दीक्षाग्राही तीन बार नमस्कारमन्त्र का स्मरण करके निम्न दण्डक को गुरुमुख से तीन बार उच्चरित करें। क्षुल्लक दीक्षा ग्रहण का पाठ निम्न है - ___ "करेमि भंते सामाइयं सव्व सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जाव नियम पज्जुवासामि दुविहं तिविहेणं मणेणं वायाए काएणं न करेमि न कारवेमि तस्स भंते पडिक्कमामि निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि।" पुनः तीन बार नमस्कारमन्त्र का स्मरण कर निम्न दण्डक को तीन बार उच्चरित करें - ___ "सव्वं पाणाईवायं सव्वं मुसावायं सव्वं अदिन्नादाणं सव्वं मेहूणं सव्वं परिग्गहं राईभोअणं पच्चक्खामि जाव नियमं पज्जुवासामि दुविहं तिविहेणं मणेणं ... ... ... अप्पाणं वोसिरामि।"
SR No.006241
Book TitleJain Muni Ke Vrataropan Ki Traikalik Upayogita Navyayug ke Sandarbh Me
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSaumyagunashreeji
PublisherPrachya Vidyapith
Publication Year2014
Total Pages344
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size28 MB
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