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________________ जंगल में एक चरती हुई गाय देखी तो वह झट उस पूर्व दृष्ट ज्ञान से उसका दूध निकाल अपनी भूख-प्यास को बुझा सकता है। क्या वह पत्थर की गाय का प्रभाव नहीं है ? मित्रो आखिर तो नकली से ही असली का ज्ञान होता है। जैसे छठा गुण स्थान पर प्रमादावस्था में नकली साधु है, पर आगे चलकर वह ही तेरहवें गुण स्थान पर पहुँच सकता है। प्र. - क्या पत्थर का सिंह प्राणियों को मार सकता? उ. - हां पत्थर का सिंह भी मार सकता है? इतना ही नहीं पर पत्थर का सिंह देखने वाला अपनी जान भी बचा सकता है। यों समझिये कि यदि किसी ने पत्थर के सिंह से वास्तविक सिंह का ज्ञान प्राप्त किया हो और वह फिर.जंगल में चला जाए और वहां उसे असली सिंह मिल जाय तो वह शीघ्र वृक्षादि पर चढ़ कर अपने प्राण बचा सकता है, अन्यथा नहीं बचा सकता। देखा पत्थर के सिंह का प्रभाव ! प्र. - एक विधवा औरत अपने मृत पति का फोटू पास में रखके प्रार्थना करे कि स्वामिन् मुझे सहवास का आनन्द दो, तो क्या फोटू आनन्द दे सकता है। उ. - इसका उत्तर जरा विचारणीय है, जैसे विधवा अपने मृत पति का फोटू अपने पास रख उससे भौतिक आनन्द की आकांक्षा रखती है तो उसे कोई आनन्द नहीं मिलता, कारण भौतिक आनंद देने में भौतिक देह के अस्तित्व की आवश्यकता है और वह देह इस समय है नहीं। इसका अधिष्ठाता उसका प्राण वायु और वह शरीर इस समय है नहीं फिर उसे आनंद कहां से मिले ? ___ अस्तु, आपका तो मूर्ति से द्वेष मालूम होता है। इसी से आप ऐसा प्रश्न करते हैं। नहीं तो माला तो आप भी हमेशा फेरते हो और उससे आत्म-कल्याण की भावना रखते हो, ऐसे ही विधवा भी यदि हाथ में मालाले अपने पति के नाम को रटे तो क्या उस स्मरण मात्र से उसका पति उस विधवा की इच्छाएं पूर्ण कर सकता है? कदापि नहीं। तब माला लेना और फेरना भी व्यर्थ हुआ। सज्जनो! नाम लेने में तो एक नाम निक्षेपही है पर मूर्ति में नाम और स्थापना दोनों निक्षेप विद्यमान हैं, इसलिए नाम रटने क्रोध के समय आधे घंटे कोई भी निर्णय मत लो।
SR No.006167
Book TitleJain Dharm Me Prabhu Darshan Pujan Mandirki Manyata Thi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyansundarmuni
PublisherJain S M Sangh Malwad
Publication Year
Total Pages36
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size5 MB
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