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________________ विमानोंकी पीठिका और ऊँचाई ] गाथा 114-117 [295 योजन कम करते और पूर्व पूर्व कल्पकी विमान ऊँचाइमें सौ सौ योजन बढ़ाते प्रत्येक कल्पमें उस उस प्रमाणको दिखाते जाना / जिससे अनुत्तरमें 2100 योजन पृथ्वीपिंड प्रमाण और 1100 यो० ऊँचाई आ जाएगी। प्रत्येक कल्पगत विमानका पृथ्वीपिंडप्रमाण और विमान ऊँचाई मिलानेसे 3200 योजन आवे / // 114-115-116 // विशेषार्थ-पृथ्वीपिंड अर्थात् विमानकी भूमिका मोटापन / जैसे कि लोकमें बहुत गृहों-महलों आदिको अमुक प्रमाणकी ऊँची पीठिका (प्लीन्थ) होती है और पीठिका प्रमाण पूर्ण होनेके बाद मंजिलें गिनी जाती हैं, परन्तु महलकी भूमिपीठके साथ मंजिलका प्रमाण गिननेका नियम नहीं होता, वैसे यहाँ भी पृथ्वीपिंड और विमानकी ऊँचाई अलग ही गिनी जाएगी। ___ सौधर्म और २८२ईशान इन दो देवलोकके विमानकी पृथ्वीका ऊँचाई प्रमाण 2700 योजन और विमानकी ऊँचाई 500 योजन होती है। (पृथ्वीपिंड सहित विमानकी ध्वजा तकका कुल. विमान प्रमाण 3200 यो०) सनत्कुमार माहेन्द्र दो देवलोकमें 2600 यो० विमानकी ऊँचाई 600 यो०, ब्रह्म और लांतकमें 2500 यो० पृथ्वीपिंड, 700 यो० विमान ऊँचाई, शुक्र सहस्रारमें 2400 यो० पृथ्वीपिंड, 800 यो० विमान ऊँचाई, आनत-प्राणतमें, आरण अच्युतमें 2300 यो० पृथ्वीपिंड, 900 यो० विमान ऊँचाई, नवग्रैवेयकमें 2200 यो० पृथ्वीपिंड और 1000 यो० विमान ऊँचाई और पांच अनुत्तरमें 2100 यो० पृथ्वीपिंड प्रमाण और विमान ऊँचाई 1100 योजनकी होती है। - प्रत्येक देवलोकमें विमानके पृथ्वीपिंडका और विमानकी ऊँचाई इन दोनोंका प्रमाण एकत्र करने पर 3200 यो० आएँगे। अतः कुल विमानोंका प्रमाण तो सर्व कल्पों में समान ही आता है। यह योजना प्रमाण आगे आनेवाली " नगपुढवी विमाणाईमिणसु पमाणंगुलेण तु" इस गाथाके वचनसे प्रमाणांगुलके प्रमाणद्वारा समझना। हर एक पृथ्वीपिंड विचित्र प्रकारके भिन्न भिन्न रत्नमय होते हैं। [114-115-116] अवतरण-पहले पृथ्वीपिंडप्रमाण और विमानकी ऊँचाई दर्शाई। अब उस वैमानिकके प्रत्येक देवलोकगत विमान कैसे वर्णवाले हों यह कहते हैं। पण-चउ-ति-दुवण्ण विमाण, सधय दुसुदुसु य जा सहस्सारो / उवरि सिय भवणवंतर-जोइसियाणं विविहवण्णा // 117 // 282. सौधर्मकल्पके विमानोंसे ईशानकल्पके विमान माप और गुणसे कुछ अधिक समझना / इस तरह अन्य कल्ययुगलमें भी समझना /
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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