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________________ भरतक्षेत्रके अलग देशोमें सूर्योदयादि समयके विपर्यास हेतु ] गाथा 86-90 [ 245 है या नहीं ? उसके प्रत्युत्तरमें जवाब यही मिलेगा कि नहीं, अब तो थोड़ी देर है, प्रभात शुरू हो चुका है। यह प्रश्न तो अयोध्याकी हदके समीपवर्ती देशके लिए ही होनेसे उपरोक्त जवाब मिलेगा; क्योंकि अयोध्यामें जब सूर्योदय हुआ तब यह देश उसके नजदीक होनेसे वहाँ सूर्यके तेजको पहुँचने में देर भी कितनी हो ? अर्थात् थोड़ी ही। अगर अयोध्यामें उदय होने के बाद अमुक समय होने पर ( सूर्य निषधसे खसकने लगे तब ) उन्हीं क्षेत्रों में पुनः प्रश्न करें कि अब आपके यहाँ उदय हुआ या नहीं ? तब जवाब मिलेगा कि अब उदय हुआ, ( आपके यहाँ उस वक्त अमुक समय दिवस चढ़ा हो ) उससे भी अगर दूर दूरके क्षेत्रोंके बारे में पूछताछ करें तो ऐसी खबर मिलेगी कि अब हमारे यहाँ अमुक बजे होनेसे अन्धकार है, इस तरह क्रमशः आगे आगेके पश्चिमकी तरफके देशोंकी पूछताछ करें तो भरतकी अपेक्षा होता अमुक अमुक समयका बढ़ता जाता फेरफार एकत्र करने पर विलायत-इनलैंड पहुँचने पर उभय देशके स्टांडर्ड समयकी अपेक्षा लगभग 5 // से 6 घण्टेका अन्तर हो जाए। अतः जब दिल्हीमें सुबहके 6 बजे हो तब पश्चिमके देशों में (6-5 // ) साढे पांच घण्टे कम करने पर रातके डेढ बजे हो; क्योंकि पश्चिमकी तरफ स्थानिक काल पीछे पीछे होता जाता है अतः कम करनेका होता है। उदाहरण .स्वरूप बम्बईसे एक व्यक्ति पश्चिम अर्थात् अफ्रिका-योरपकी तरफ मुसाफिरी करनेको स्टीमरमें शामको सात बजे जाता है तब स्टीमर बम्बई बन्दरगाह छोड़कर : १५.रेखांश भूमि पार कर जाए तब घडीमें एक घण्टा पीछे करवाते; अर्थात् स्टीमरके चलते वक्त सात बजे थे तो अब 15 रेखांशकी जगह पर पहुँचने पर छः रखवाते; क्योंकि एक रेखांश जितनी भूमि पसार हो तब चार मिनटका तफावत पड़ता है, इस * तरह हर पंद्रह रेखांश पर एक एक घण्टा घडी पीछे करवाते हैं। अतः जो जहाज बिना रुके सतत गतिसे चलता रहे तो विलायत पहुँचने पर दोपहरके (लगभग ) डेढ बजे हों और अमरिका-न्यूयार्क पहुँचने पर सुबहके साढे सात बजे हो अर्थात् 11 // घण्टेका लगभग अन्तर होता है। अब यदि स्टीमर भारतके पूर्व किनारेसे पूर्वकी तरफ आगे आगे बढे तो उस तरफ हर पंद्रह रेखांश पर घड़ीको एक एक घण्टा आगे रखवाते हैं, क्योंकि पूर्वके देशोंकी तरफ सूर्यका अगाउ उदय हुआ होनेसे वहाँ दिवस बहुत आगे बढ़ा होता है। वहाँ भी एक रेखांश पर घडीको चार मिनट आगे रखनी पड़ती है। ... अर्थात् पूर्वकी तरफ संध्या या रात्रि जैसा हो तब पश्चिमकी तरफ कही दिवसका प्रारंभ तो कहीं मध्याह्न आदि होता है। उसी तरह जब विलायतसे रवाना हुई स्टीमर वम्बईकी ओर आने लगी, तब
SR No.004267
Book TitleSangrahaniratna Prakaran Bruhat Sangrahani Sutra
Original Sutra AuthorChandrasuri
AuthorYashodevsuri
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1984
Total Pages756
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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