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________________ ११ शीघ्र मोक्ष-प्राप्ति के विशिष्ट सूत्र शीघ्र मोक्ष प्राप्ति के पुराने बोल : नये मोल पूर्व निबन्ध में हम यह सिद्ध कर आये हैं कि आत्मार्थी और मुमुक्षु साधक के लिए मोक्ष प्राप्ति का पुरुषार्थ ही उपादेय है। उक्त मोक्ष प्राप्ति के साधक के रूप में संवर- निर्जरारूप या सम्यग्दर्शन - ज्ञान - चारित्ररूप शुद्ध धर्म के विषय में अहर्निश: पुरुषार्थ करने से साधक शीघ्र मोक्ष प्राप्त कर सकता है। ज्ञानी महापुरुषों ने आगमों का मनन- मन्थन करके 'वेगा-वेगा मोक्ष जावा का बोल' (शीघ्र मोक्ष - गमन के कतिपय बोलों) का चयन एक थोकड़े ( स्तोक) के रूप : में किया है। ये बोल आगमों के मन्थन से प्राप्त नवनीत के समान है। श्रमण संघीय प्रवर्तक श्री उमेश मुनि जी 'अणु' ने 'मोक्खपुरिसत्थो' नाम से ५-६ भागों में शीघ्र मोक्ष प्राप्ति के २३ बोलों का विस्तृत विवेचन सहित वर्णन किया है। आपने इन पुराने बोलों का आध्यात्मिक, मनोवैज्ञानिक एवं योगसाधनात्मक दृष्टि से नव-मूल्यांकन प्रस्तुत किया है। साधारण पढ़ा-लिखा आत्म- हितैषी मुमुक्षु भी अगर इन बोलों के अनुसार निश्चय और व्यवहार दोनों दृष्टियों से मोक्ष हेतु पुरुषार्थ करे तो वह मोक्ष के निकट पहुँचने में सफलता प्राप्त कर सकता है। और भी कतिपय पुस्तकों तथा हस्तलिखित पन्नों में शीघ्र मोक्ष जाने के कहीं १४, कहीं १५-१६ और कहीं २१ बोलों का उल्लेख है। हम इस निबन्ध में उन सब बोलों में से जो बोल पुण्य-प्राप्ति के हेतुरूप होने से शुभ कर्मबन्ध के कारण हैं, उन्हें छोड़कर बाकी के सब बोलों को मोक्ष के चार अंगों (साधनों) के रूप में चार भागों में वर्गीकृत करके प्रस्तुत कर रहे हैं। मोक्षमार्ग के चार अंगों में इन बोलों का वर्गीकरण भगवान महावीर ने सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान, सम्यक्चारित्र और सम्यक्तप, इन चारों को मोक्षमार्ग के नाम से प्ररूपित किया है। अतः इन बोलों को क्रमशः १. (क) नाणं च दंसणं चेव चरितं च तवो तहा । समग्गुत्तिपन्नत्तो जिहिं वरदंसिंहिं ॥ (ख) सम्यग्दर्शन - ज्ञान - चारित्राणि मोक्षमार्गः । Jain Education International For Personal & Private Use Only - उत्तराध्ययन, अ. २८, गा. २ - तत्त्वार्थसूत्र १/१ www.jainelibrary.org
SR No.004249
Book TitleKarm Vignan Part 08
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year
Total Pages534
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size9 MB
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