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________________ (ii) अपभ्रंश भाषा में कौन, क्या के अर्थ में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग ‘कवण' और स्त्रीलिंग ‘कवणा' का प्रयोग भी होता है। नोटः पुल्लिंग, नपुंसकलिंग में कवण के रूप सव्व की तरह तथा स्त्रीलिंग कवणा के रूप सव्वा (कहा) की तरह चलेंगे। -------------- पुरुषवाचक सर्वनाम तुम्ह (तुम) (तीनों लिंगों में) प्रथमा एकवचन 1/1 14. अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन में 'तुहं होता है। तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुहं (प्रथमा एकवचन) ----- (क) प्रथमा बहुवचन 1/2 (ख) द्वितीया बहुवचन 2/2 15. अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन तथा द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'तुम्हे' और 'तुम्हई होते हैं। प्रथमा बहुवचन 1/2 (क) तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुम्हे/तुम्हई (प्रथमा बहुवचन) द्वितीया बहुवचन 2/2 - (ख). तुम्ह (तुम) (तीनों लिंग) - तुम्हे/तुम्हइं (द्वितीया बहुवचन) . (क) द्वितीया एकवचन 2/1(ख) तृतीया एकवचन 3/1(ग) सप्तमी एकवचन 7/1 16. अपभ्रंश भाषा में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग तुम्ह सर्वनाम के द्वितीया विभक्ति एकवचन, तृतीया विभक्ति एकवचन तथा सप्तमी विभक्ति एकवचन में 'पई' और 'तई होते हैं। अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण (33) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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