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________________ (iii) अमु(यह)(नपुं.) - ओइ (प्रथमा बहुवचन) - ओइ (द्वितीया बहुवचन) आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 अपभ्रंश भाषा में स्त्रीलिंग अमु सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'ओई' होता है। जैसेअमु (यह)(स्त्री.)- ओइ (प्रथमा बहुवचन) - ओइ (द्वितीया बहुवचन) ------------ 11. अपभ्रंश भाषा में यह के अर्थ में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग 'आय' और स्त्रीलिंग ‘आया' का प्रयोग भी होता है। नोट : पुल्लिंग, नपुंसकलिंग में आय के रूप सव्व की तरह तथा स्त्रीलिंग में आया के रूप सव्वा (कहा) की तरह चलेंगे। --- 12. अपभ्रंश भाषा में सब के अर्थ में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग ‘साह' और स्त्रीलिंग ‘साहा' का प्रयोग भी होता है। नोट : पुल्लिंग, नपुंसकलिंग में साह के रूप सव्व की तरह तथा स्त्रीलिंग में साहा के रूप सव्वा (कहा) की तरह चलेंगे। ------- 13. (i) अपभ्रंश भाषा में कौन, क्या के अर्थ में पुल्लिंग, नपुंसकलिंग और स्त्रीलिंग में ‘काई' का प्रयोग भी होता है। नोट : काइं सभी विभक्तियों (प्रथमा से सप्तमी तक) व दोनों वचनों (एकवचन व बहुवचन) में काई ही रहता है। (32) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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