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________________ एत (यह) (पु.) - एइ (प्रथमा बहुवचन) - एइ (द्वितीया बहुवचन) अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 (ii) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग एत सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में ‘एई' होता है।जैसेएत (यह)(नपुं.) - एइ (प्रथमा बहुवचन) - एइ (द्वितीया बहुवचन) आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 (iii) अपभ्रंश भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग एता सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया बहुवचन में ‘एई' होता है। जैसेएता (यह)(स्त्री.) - एइ (प्रथमा बहुवचन) - एइ (द्वितीया बहुवचन) अकारान्त सर्वनाम (पु.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 _10. (i)अपभ्रंश भाषा में पुल्लिग अमु सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'ओई' होता है। जैसेअमु (यह) (पु.)- ओइ (प्रथमा बहुवचन) - ओइ (द्वितीया बहुवचन) अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 (i) अपभ्रंश भाषा में नपुंसकलिंग अमु सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में 'ओई' होता है। जैसे अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण (31) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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