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________________ अकारान्त सर्वनाम (पु.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 8.(i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त पुल्लिंग एत सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में ‘एहो' होता है। जैसेएत (यह) (पु.) - एहो (प्रथमा एकवचन) - एहो (द्वितीया एकवचन) अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 अपभ्रंश भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग एत सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में 'एह' होता है। जैसेएत (यह)(नपुं.) - एहु (प्रथमा एकवचन) - एहु (द्वितीया एकवचन) , आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1 अपभ्रंश भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग एता सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में ‘एह' होता है। जैसेएता (यह)(स्त्री.) - एह (प्रथमा एकवचन) __ - एह (द्वितीया एकवचन) अकारान्त सर्वनाम (पु.) प्रथमा बहुवचन 1/2, द्वितीया बहुवचन 2/2 9. (i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त पुल्लिंग एत सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति बहुवचन व द्वितीया विभक्ति बहुवचन में ‘एई' होता है। जैसे (30) अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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