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________________ त (वह)(नपुं.) - त्रं (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - तं (प्रथमा एकवचन) ___ द्वितीया एकवचन 2/1 (ख) त (वह)(पु.) - त्रं (द्वितीया एकवचन) अन्य रूप - तं (द्वितीया एकवचन) त (वह)(नपुं.) - त्रं (द्वितीया एकवचन) अन्य रूप - तं (द्वितीया एकवचन) __आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) (क) प्रथमा एकवचन 1/1(ख) द्वितीया एकवचन 2/1 (iv) आकारान्त स्त्रीलिंग ता सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से त्रं' भी होता है। जैसे(क) ता (स्त्री.) (वह) - त्रं (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - सा, स, तं (प्रथमा एकवचन) (ख) ता (स्त्री.) (वह) - त्रं (द्वितीया एकवचन) . अन्य रूप - तं (द्वितीया एकवचन) --------------------------------------- अकारान्त सर्वनाम (नपुं.) प्रथमा एकवचन 1/1, द्वितीया एकवचन 2/1. अपभ्रंश भाषा में अकारान्त नपुंसकलिंग इम सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में 'इमु' होता है। जैसेइम (यह)(नपुं.) - इमु (प्रथमा एकवचन) ___ - इमु (द्वितीया एकवचन) - - - - - - - - - - - - - - - - -------- अपभ्रंश-हिन्दी-व्याकरण • (29) Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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