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________________ द्वितीया एकवचन 2/1 (ख) ज (जो) (पु.) - धुं (द्वितीया एकवचन) (iii) अन्य रूप (28) आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) (क) प्रथमा एकवचन 1 / 1 ( ख ) द्वितीया एकवचन 2 / 1 (ii) अपभ्रंश भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग जा सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'धुं' भी होता है। जैसे (क) जा (जो) (स्त्री.) - धुं (प्रथमा एकवचन) अन्य रूप - जु (प्रथमा एकवचन ) (ख) जा (जो) (स्त्री.) - धुं (द्वितीया एकवचन) अन्य रूप जु (द्वितीया एकवचन) - ज (जो ) ( नपुं.) - धुं (द्वितीया एकवचन) अन्य रूप - जु (द्वितीया एकवचन) ज, जा, जु (द्वितीया एकवचन) - अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं. ) (क) प्रथमा एकवचन 1 / 1 (ख) द्वितीया एकवचन 2 / 1 अपभ्रंश भाषा में अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग त सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'त्र' भी होता है। जैसे प्रथमा एकवचन 1 / 1 (क) त ( वह) (पु.) - त्रं (प्रथमा एकवचन ) Jain Education International अन्य रूप - स, सा, सु, सो, तं (प्रथमा एकवचन) अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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