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________________ 5. आकारान्त सर्वनाम (स्त्री.) षष्ठी एकवचन 6 / 1 अपभ्रंश भाषा में आकारान्त स्त्रीलिंग जा, ता और का सर्वनामों के षष्ठी विभक्ति एकवचन में 'अहे' प्रत्यय विकल्प से जोड़ा जाता है। 'अहे' प्रत्यय जोड़ने पर जा, ता और का सर्वनामों के अन्त्य स्वर आ का लोप हो जाता है। जैसे - जा (स्त्री.) (जा+अहे) = जहे (षष्ठी एकवचन ) अन्य रूप - जा, ज, जाहे (षष्ठी एकवचन) ता (स्त्री.) (ता+अहे) = तहे (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप - ता, त, ताहे (षष्ठी एकवचन) का (स्त्री.) (का+अहे) = कहे (षष्ठी एकवचन) अन्य रूप का, क, काहे (षष्ठी एकवचन) अकारान्त सर्वनाम (पु., नपुं.) (क) प्रथमा एकवचन 1 / 1 (ख) द्वितीया एकवचन 2 / 1 6. (i) अपभ्रंश भाषा में अकारान्त पुल्लिंग और नपुंसकलिंग ज सर्वनाम के प्रथमा विभक्ति एकवचन व द्वितीया विभक्ति एकवचन में विकल्प से 'धुं' भी होता है। जैसे प्रथमा एकवचन 1 / 1 ज (जो) (पु.) - धुं (प्रथमा एकवचन ) - - अन्य रूप ज, जा, जु, ज (जो ) ( नपुं. ) - धुं (प्रथमा एकवचन ) अन्य रूप - जु (प्रथमा एकवचन ) अपभ्रंश - हिन्दी-व्याकरण Jain Education International जो (प्रथमा एकवचन ) For Personal & Private Use Only (27) www.jainelibrary.org
SR No.004214
Book TitleApbhramsa Hindi Vyakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2012
Total Pages138
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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