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________________ समवायांग सूत्र कठिन शब्दार्थ - परवेयावच्चकम्म पडिमाओ - दूसरे की वैयावत्य करने रूप पडिमा - अभिग्रह विशेष, एकाणउड़ - ९१ भेद, कालोए समुद्दे - कालोदधि समुद्र, परिक्खेवेणं परिक्षेप (परिधि) । २६२ भावार्थ - दूसरे की वैयावृत्य करने के ९१ भेद कहे गये हैं । अर्थात् विनय के १० भेद, अनाशातना विनय के ६० भेद, लोकोपचार विनय के ७ भेद और वैयावृत्य के १४ भेद, ये सब मिला कर ९१ भेद होते हैं । कालोदधि समुद्र का परिक्षेप यानी परिधि ९१७०६०५ योजन १५ धनुष ८७ अङ्गुल से कुछ अधिक कही गई है। सतरहवें तीर्थङ्कर श्री कुंथुनाथस्वामी के ९१०० अवधिज्ञानी मुनि थे। आयु और गोत्र, इन दो कर्मों को छोड़ कर शेष छह कर्मों की ९१ - उत्तर प्रकृतियाँ कही गई हैं ॥ ९१ ॥ विवेचन - दूसरे रोगी आदि साधु और आचार्य आदि को आहार- पानी आदि लाकर देना, सेवा शुश्रूषा करना तथा विनय आदि करने के अभिग्रह विशेष को यहाँ 'प्रतिमा' से कहा गया है। शब्द वैयावृत्य के उन ९१ भेदों का वर्णन इस प्रकार है - १. ज्ञान, दर्शन, चारित्र आदि में गुणाधिक पुरुषों का सत्कार करना । २. उनके आने पर खड़ा होना, ३. वस्त्रादि देकर सन्मान करना । ४. उनके बैठते हुए आसन लाकर बैठने के लिये प्रार्थना करना । ५. आसनानुप्रदान करना उनके आसन को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाना । ६. कृतिकर्म (वन्दना) करना । ७. अंजली करना (दोनों हाथ जोड़ना) । ८. गुरुजनों के आने पर आगे जाकर उनका स्वागत करना । ९. गुरुजनों के गमन करने पर उनके पीछे चलना । १०. उन के बैठने पर बैठना । - Jain Education International X•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•I•F यह दश प्रकार का शुश्रूषाविनय है । तथा १. तीर्थङ्कर २. केवलिप्रज्ञप्त धर्म ३. आचार्य ४ वाचक (उपाध्याय) ५. स्थविर ६. कुल ७. गण ८. संघ ९. साम्भोगिक १०. क्रियावान् (आचार) विशिष्ट ११. विशिष्ट मतिज्ञानी १२. श्रुतज्ञानी १३. अवधिज्ञानी १४. मनः पर्यवज्ञानी और १५. केवलज्ञानी, इन पन्द्रह विशिष्ट पुरुषों की १ आशातना नहीं करना २. भक्ति करना ३. बहुमान करना और - For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004182
Book TitleSamvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages458
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_samvayang
File Size10 MB
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