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________________ जाओ, शायद वह हार्ट या कैंसर का डर बैठाकर सुधारने में सफल हो जाए। कुल मिलाकर, व्यक्ति सुधरना चाहिए, फिर चाहे वह हमारी प्रेरणा से सुधरे, या किसी डॉक्टर की प्रेरणा से। पिछले साल की बात है। मैं किसी एक खास विषय पर बोल रहा था। उस विषय पर बोलते हुए मैंने कहा कि सोचो आप अपने बच्चों के लिए क्या वसीयत छोड़ कर जा रहे हो? क्या आप यही वसीयत छोड़कर जाना चाहते हैं कि वे एक शराबी बाप के बेटे कहलायें? क्या आप यही वसीयत छोड़कर जाना चाहते हैं कि आपका बच्चा आपके खाए गुटखों के खाली पाउच उठाए और चाटे। सोचो आप अपने पीछे क्या वसीयत छोडकर जाना चाहते हैं? अगले दिन, पता नहीं एक आदमी को क्या जची कि वह झोला भरकर शराब की बोतलें ले आया और लाकर सामने रख दीं। मैंने कहा - मरवाओगे क्या? मैं कोई भैरूजी-भोपाजी थोड़े ही हूँ जो शराब की बोतलें चढ़ा रहे हो? वह कुछ न बोला। बस, बोतलें खोल-खोल कर हमारे सामने गिराता रहा - मिट्टी पर, ज़मीन पर । मैंने कहा, भाई यह क्या कर रहे हो? बोला – साहब आपने जो बात कही, वह मेरे दिल और दिमाग में उतर गई। मैं अपने बच्चों के लिए वसीयत में ये सब छोड़कर नहीं जाऊँगा। इसलिए आज से ही शराब का त्याग करता हूँ। सचमुच, वह व्यक्ति बदल गया। न केवल बदल गया, बल्कि एक नेक और सत्संग-प्रेमी व्यक्ति बन गया।आज वो व्यक्ति हमारे बहुत क़रीब है। एक मिनट में बदल सकती है जिंदगी अगर आदमी अपने भीतर ज़ज़्बा जगा ले। ब्राह्मी और सुंदरी गई भाई को यह कहने के लिए कि भैया! हाथी पर बैठे रहने से केवलज्ञान नहीं होता और जब बाहुबली अपने छोटे भाइयों को जो संत बने हुए होते हैं, नमन करने के लिए क़दम आगे बढ़ाते हैं कि पहला क़दम बढ़ाते ही उनको परमज्ञान हो जाता है। जिंदगी को बदलने में, केवलज्ञान को पाने में कितना वक़्त लगा? केवल एक मिनिट। पति कहता है चलने में देर हो रही है अजी जल्दी आओ। पत्नी कहती है, 'बस, एक मिनिट में आई।' हालाँकि आती नहीं है वह दस मिनिट तक, पर कहती है 'बस, एक मिनिट में आई।' पिताजी कहते हैं, 'बेटा रवाना हो अब।' बेटा कहता है, बस, एक मिनिट में आया।' हमारी जुबान पर बैठा हुआ एक मिनट । हम कहते हैं बस! एक चुटकी में काम हुआ। पर क्या कोई चुटकी में काम 46/ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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