SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 46
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ होता है? हक़ीक़त में एक चुटकी में ही काम हो जाता है। एक मिनट में ही। पूर्व जन्म में संत बन करके भी जो अपना निस्तार नहीं कर पाया, वही चंडकौशिक साँप महावीर का केवल एक मिनट का सत्संग पाकर बदल गया और ऐसा बदला कि जो संत होकर भी न बदल पाया, उसने साँप होकर अपना उद्धार कर लिया। चंडकौशिक को कितने मिनट लगे? सिर्फ एक-दो मिनट। महावीर ने केवल इतना ही कहा – 'हे जीव! अब तो शांत हो।' जो लोग ज्यादा गुस्सा करते हैं वे घर पर पेन से एक तख्ती पर लिखकर टाँग दें – 'हे जीव! अब तो शांत हो।' कब तक हो-हल्ला करता रहेगा? बच्चा गाली निकालता है, समझ में आता है कि वह बारह साल का नादान बच्चा है, उसमें अक्ल नहीं है। पर आप तो वयस्क हैं, बड़े हैं। आपको तो क्रोध नहीं करना चाहिए। आज आप महावीर के उपदेश तख्ती पर लिखकर घर ले जाकर टाँग दें। अगर आपको लगता है कि पापा ज़्यादा चिल्लाते हैं तो पापा से कुछ मत कहो । केवल घर पर एक पुढे पर मार्कर पेन या कम्प्यूटर प्रिंट से लिख देना – 'हे जीव! अब तो शांत रह ।' जैसे ही पापाजी को गुस्सा आए तो और कुछ मत करना, बस तख्ती की तरफ इशारा कर देना। अरे, जब चंडकौशिक बदल गया, तो क्या पापा नहीं बदलेंगे? पापा तो चंडकौशिक नहीं हैं, वे तो आपके प्रिय पापा हैं। पापा एक बार देखेंगे तो और गुस्सा करेंगे, दूसरी बार देखेंगे, थोड़ा झल्लायेंगे, तीसरी बार में ऊँ-ऊँ करके रह जायेंगे, चौथी बार में ठंडे ही हो जायेंगे। बस, एक ही बोध - 'हे जीव! अब तो शांत रह।' हम अपनी-अपनी कमजोरियों पर विजय प्राप्त करें। दुनिया में कोई किसी को बदलने के लिए लिए नहीं आता। हम ही ख़ुद को ख़ुद बदलेंगे। हम अगर निर्णय कर लें कि मैं बदलूँगा, निश्चित तौर पर बदलूँगा। कल नहीं आज, आज नहीं अभी, अभी नहीं यहीं। यहीं पर ही बदल कर जाऊँगा। बुद्ध से अंगुलीमाल बदल गए, महावीर से चंडकौशिक बदल गया, चन्द्रप्रभ से जयकिशन बदल गया, तो आप क्यों नहीं बदल सकते। आप कमजोरियों को छोड़ना चाहोगे, तो कमजोरियों को छोड़ दोगे। कमियों को छोड़ना चाहोगे तो कमियों को छोड़ दोगे। बस केवल भीतर ज़ज़्बा जगाओ। भीतर ज़ज़्बा हो तो, कमियाँ जीती जा सकती हैं। घर की गरीबियाँ दूर की जा सकती हैं। सामने यह गणेशजी का चित्र है, इसे देखकर प्रेरणा लीजिए। गणेश जी का 47 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy