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________________ इंसान का संकल्प है जो जिंदगी में अगर पैदा हो जाए तो सौ-सौ पहाड़ों को काट सकता है, सौ-सौ पहाडों को लाँघ सकता है। बँद, बँद होती है, पर उन्हीं बँदों से बाँध बन जाता है। उसी बाँध से बिजली पैदा होती है और उसी बिजली से बड़ेबड़े कल कारखाने चलते हैं। ताक़त को तो बटोरना पड़ता है। बूंद की कोई ताक़त नहीं होती, पर बूंद अगर बूंदों से मिल जाए तो उसी से बाढ़ आ जाया करती है। देने के नाम पर तो भगवान ने हमें केवल दो हाथ दिये हैं, दो पाँव दिये हैं और इन हाथों और पाँवों में कोई बहुत बड़ी ताक़त नहीं है। न तो हम किसी गोरैया की तरह आसमान में उड़ सकते हैं, न ही किसी चीते की तरह दौड लगा सकते हैं. न ही कोई बाज की तरह हमारी आँखें तीखी हैं और ही किसी चीते की तरह हमारे नाखून तीखे हैं। न ही हम बंदर की तरह इधर-उधर उछल-कूद कर सकते हैं। अरे, हमारे शरीर की औकात क्या, एक छोटा-सा बिच्छू, एक छोटा-सा जन्तु भी अगर काट खाये तो ऊपर से नीचे तक हिल जाते हैं। इंसान के शरीर की तो कोई ताक़त और औकात नहीं है, पर इंसान को भगवान ने जो ताक़त और औकात दी है, उस एक ताक़त और औकात के चलते वह पूरी दुनिया पर राज करता है, सारे जीव-जन्तुओं में श्रेष्ठ कहलाता है और सारी दुनिया का नवनिर्माण करने में लगा हुआ है । वह ताक़त है हमारी सोच, हमारी समझ, हमारा विश्वास, हमारा ज़ज़्बा। जब तक ये जगेंगे तब तक इंसान आगे बढ़ेगा। कई लोग 30 साल की उम्र में भी सफेद बाल वाले हो जाते हैं और कई लोग 90 साल की उम्र में भी काम करते हुए देखे जाते हैं। कई लोग 30 साल की उम्र में ही कुर्सियों के गुलाम हो गए हैं । आज की बहुओं को साड़ी पहनते भी जोर आता है, जबकि उनकी सासू और दादी सास को बुहारी लगाते भी तकलीफ नहीं होती। मेरी बहनों! काया बाई का ज्यादा लाड़ मत करो, नहीं तो यह माथे चढ़ जाएगी। इससे हमेशा मेहनत करवाते रहो, नहीं तो बुढ़ापे में कोई एक गिलास पानी पिलाने वाला भी नहीं मिल पायेगा। याद रखो जो चलै सो चरै। अपने संकल्पों को, अपनी इच्छा-शक्ति को मज़बूत करो। अगर कोई व्यक्ति शराब पीता है, कोई नहीं छुड़ा पाया उसे, लेकिन वही व्यक्ति अगर अपने भीतर संकल्प जगा ले तो छोड़ सकता है। खुद को सुधारना खुद के हाथ में है। मुझे स्वयं को सुधारना है' - यह संकल्प-बोध जग जाए तो उसी क्षण सुधरने के द्वार खुलने लग जाते हैं । व्यक्ति खुद ही अगर सुधरना न चाहे, तो फिर उसे कौन सुधार सकता है? ऐसे लोगों को डॉक्टरों के पास ले 45 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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