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________________ लक्ष्य, ऊँचा पुरुषार्थ, ऊँचा विश्वास यानी इसी का नाम है : सफलता। जीवन में कुछ करना है तो, मन को मारे मत बैठो। आगे-आगे बढ़ना है तो हिम्मत हारे मत बैठो।। पाँव दिये चलने की खातिर, पाँव पसारे मत बैठो। दूर किनारे मत बैठो। ज़िंदगी को केवल एक मिनट में बदला जा सकता है। आगे बढ़ने का हौंसला बुलंद कर लो तो एक मिनिट में ऊँचाइयों के रास्ते पर कदम बढ़ाया जा सकता है। मैं साधुवाद दूँगा भाई श्री सुरेश जी, दिनेश जी डोसी को, साधुवाद दूंगा सुजानमलजी चौपड़ा की मणिधारी टीम को जो 700 किलोमीटर से पैदल चलाकर हमें जोधपुर से इन्दौर लाने में सफल हुए। हमारा यहाँ आना महत्त्वपूर्ण नहीं है, न ही हमारा यहाँ से चले जाना महत्त्वपूर्ण होगा। महत्त्वपूर्ण है हमारे जाने से पहले हज़ारों दीयों का यहाँ जल जाना। लोगों की जिंदगी में नये ज़ज़्बे जगे, लोगों को नई दिशाएँ मिलीं, नया उत्साह जगा, लोग अपनी ऊँचाइयों को छूने के लिए प्रयत्नशील हुए। हमारा यहाँ आना निश्चित तौर पर सार्थक हुआ। अभी भी अनेक लोग हैं जो निश्चेष्ट पड़े हैं। मैं चाहूँगा कि हर व्यक्ति अपनी संकल्प-शक्ति को जगाए, इच्छा-शक्ति को जागृत करे, मन को ऊर्जावान बनाए। एक दफ़ा मैं किसी पहाड़ी पर बैठा हुआ था कि इतने में ही एक युवक मेरे पास आया और दुआ-सलाम करके कहा कि मुझे आपसे एक सवाल पूछना है कि दुनिया में सबसे कठोर चीज़ क्या है? मैं पहाड़ी पर बैठा था। मैंने जवाब में कहा - जिस पत्थर पर मैं बैठा हूँ यह पत्थर सबसे कठोर है। उसने कहा, क्या पत्थर से भी कोई कठोर चीज़ होती है? मैंने कहा - पत्थर से भी कठोर चीज़ लोहा है जो पत्थर को भी तोड़ डालता है। उस युवक ने कहा, क्या लोहे से भी कोई कठिन चीज़ होती है? मैंने कहा – हाँ, लोहे से भी कठिन चीज़ है पानी जो कि आग को भी बुझा दिया करता है। वह चौंका। उसने पुनः पूछा – क्या पानी से भी कोई कठिन चीज़ होती है? मैंने कहा - हाँ, पानी से भी कठिन चीज़ है इंसान का संकल्प। अगर संकल्प जग जाए तो इंसान पानी की धाराओं को भी मोड़ दिया करता है। इंसान हाँ, यह इंसान का संकल्प है जिसके चलते कोई भगीरथ बनकर स्वर्ग में रहने वाली गंगा को भी धरती पर लाने के लिए मजबूर कर दिया करता है। यह 44 Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003864
Book TitleKaise Khole Kismat ke Tale
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabhsagar
PublisherJityasha Foundation
Publication Year2012
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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