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________________ 1. शब्दार्थ : परियलिय विढत्त करंका पट्टण श्रावाश्री 70 एकत्र = कमाना = कांवर 2. लघुत्तरात्मक प्रश्न : = बाजार == आपत्ति Jain Educationa International अभ्यास प्रज्जरपत्थं छत्तिया सत्तागार समुज्जुश्र चिरंतरण - कमाने के लिए पच्छया छाता लायं अतिथिशाला मंडए पोत्तड वट्ट भोला पुराना प्रश्न का उत्तर एक वाक्य में लिखिए : 1. गंगादित्य का नाम मायादित्य क्यों पड़ा ? 2. दोनों मित्रों ने अपने धन को किस में बदला ? 3. मायादित्य ने रत्न हड़पने के लिए क्या उपाय किया ? = For Personal and Private Use Only = 3. निबन्धात्मक प्रश्न : ( क ) मायादित्य स्वयं ही किस प्रकार छला गया, संक्षेप में लिखिए । (ख) कंकड़ों की पोटली देखने पर मायादित्य की हालत कैसी हो गयी और उसने क्या सोचा ? (ग) मित्र से कपट करने की कोई दूसरी कथा लिखिए । नास्ता तूमड़ी रोटी पोटली गोल प्राकृत गद्य-सोपान www.jainelibrary.org
SR No.003807
Book TitlePrakrit Gadya Sopan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPrem Suman Jain
PublisherRajasthan Prakrit Bharti Sansthan Jaipur
Publication Year1983
Total Pages214
LanguageHindi, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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