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________________ [७७] [धम्मा वंसा सेला अंजण रिट्ठा मधा य माधवती । सत्तण्हं पुढवीणं एए नामा उ नायव्वा] ।। [७८] [रयणा सक्कर वालुय पंका धूमा तमा तम-तमा य । सत्तण्हं पुढवीणं एए गोत्ता मुणेयव्वा] ।। [७९] इमा णं भंते रयणप्पभापुढवी केवतिया बाहल्लेण गोयमा इमा णं रयणप्पभापुढवी असिउत्तरे जोयणसयसहस्सं बाहल्लेणं एवं एतेणं अभिलावेणं इमा गाहा अनुगंतव्वा । [८०] आसीतं बत्तीसं अट्ठावीसं तहेव वीसं च । अद्वारस सोलसगं अद्वत्तरमेव हिद्विमिया ।। [८१] इमा णं भंते रयणप्पभापुढवी कतिविधा पन्नत्ता गोयमा तिविधा पन्नत्ता तं जहाखरकंडे पंकबहलेकंडे आवबहुलेकंडे इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोयमा सोलसविधे पन्नत्ते तं जहा- रयणे वइरे वेरुलिए लोहितक्खे मसारगल्ले हंसगब्भे पुलए सोयंधिए जोतिरसे अंजणे अंजणपुलए रयते जातरूवे अंके फलिहे रिटे कंडे, इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए रयणकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोयमा एगागारे पन्नत्ते एवं जाव रिढे इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहुलेकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोयमा एमागारे पन्नत्ते एवं आवबहलेकंडे कतिविधे पन्नत्ते गोयमा एमागारे पन्नत्ते सक्करप्पभा णं भंते पुढवी कतिविधा पन्नत्ता गोयमा एमागारा पन्नत्ता एवं जाव अहेसत्तमा । [८२] इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए केवतिया निरयावाससयसहस्सा प. गोयमा तीसं निरयावाससयसहस्सा प. एवं एतेणं अभिलावेणं सव्वासिं पुच्छा इमा गाहा अनुगंतव्वा | [८३] तीसा य पन्नवीसा पन्नरस दसेव तिण्णि य हवंति - पंचूणसयसहस्सं पंचेव अनुत्तरा नरगा ।। [८४] जाव अहेसत्तमाए पंच अनुत्तरा महतिमहालया महाणरगा पन्नत्ता तं जहा- काल महाकाले रोरुए महारोरुए अपतिट्ठाणे | [८५] अत्थि णं भंते इमीसे रयणप्पभाए पुढवीए अहेघ णोदधीति वा घणवातेति वा तनवातेति आ ओवासंतरेति वा हंता अत्थि एवं जाव अहेसत्तमाए | [८६] इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए खरकंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा सोलसजोयणसहस्साइं बाहल्लेणं पन्नत्ते इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए रयणकंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा एक्कं जोयणसहस्सं एवं जाव रिढे इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए पंकबहले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा चउरासीतिजोयणसहस्साइं इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए आवबहले कंडे केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा असीतिजोयणसहस्साई इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए घणोदही केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा वीसं जोयणसहस्साइं इमीसे णं भंते रयणप्पभाए पुढवीए घणवाते केवतियं बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं एवं तणवातेवि ओवासंतरेवि सक्करप्पभाए णं भंते पुढवीए घणोदही केवतियं गोयमा वीसं जोयणसहस्साई सक्करप्पभाए पुढवीए घणवाते केवतिए बाहल्लेणं पन्नत्ते गोयमा असंखेज्जाइं जोयणसहस्साइं एवं तनुवातेवि ओवासंतरेवि जहा सक्करप्पभाए पडिवत्ति-३ पुढवीए एवं जाव अधेसत्तमाए । दीपरत्नसागर संशोधितः] [25] [१४-जीवाजीवाभिगम]
SR No.003727
Book TitleAgam 14 Jivajivabhigam Taiam Uvvangsuttam Mulam PDF File Without Correction
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDipratnasagar, Deepratnasagar
PublisherDeepratnasagar
Publication Year2012
Total Pages152
LanguagePrakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, Agam 14, & agam_jivajivabhigam
File Size3 MB
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