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________________ जाषान्तर सहित. २४३ बीजे मार्गे तीखी अणीवाली सूलो विकुर्वि मुनीनी परिक्षा करीये ? मिथ्यात्वी देवताए ए प्रमाणे करवानी दा कहेवाथी एक मार्गे क्रोडो कीमी अने बीजे मार्गे तीखी नाला जेवी अनेक सूलो विकुर्वी. मुनीराजे विहार करतां एक मार्गे कीमी अने बीजे मार्गे सूलो. दीठी.तेथी विचार्यु जे-यात्म विराधना रुडी पण जीवनी विराधना अति दुःखदाई माठी गति देवावाली ते माटे संयमविराधना टालवी. एम धारी कीमीवालो मार्ग तजीने सूलोवाला मार्गे चाली नीकल्या. पग लोही लूहाण थया. रुधिरनी धारा चाली, पण लगार मात्र मनमां हवाणा नही. जैन दे. वता ए जोई साधुने पगे लागी मिथ्यात्वी देवताप्रत्येकदेवा लाग्यो के, केम ? जोयुं ? जैननो तो एवो पराक्रम महिमा बे. त्यारपडी बन्ने देवता एक अटवीमां श्राव्या. त्यां जमदग्नि नामे तापस तपस्या करतो हतो के, खेडेली नूमीये पग न मुकवो अने फल फूल पडेलां खावां. वली तापस जूटा जूट मलिन बे, एनो माननारो जे देवता, तेणे जैन देवताने कयु के,आपणे एनुं पारखं जोईये. पठी ते देवताये चडकला चडकली (चकलो अने चकली) नुं रूप करीने ते तापसनी लांबी म्होटी वधी गयेली दाढीमां मालो करी बेसाड्यु. पडी चकले चकलीने कह्यु के, तुं अहीं रहेजे, हुं काम डे ते करी आवं. चकलीए कडं के, हुं तमने नहीं जावा दे. चकलो कहे शा माटे ? चकली कहे के, मने तमारो विश्वास नथी आवतो माटे ! चकले कडं के, तेनुं कारण तो कहे ? चकलीए जणाव्यु के, कदापि तमे मुज सरखी श्रवर कोई स्त्री मले अने ते तमने श्राववा न दे त्यारे तमे नावो माटे ! वली तमे तेणीना उपर मोह पामीने रहो तो महारी शी वले ? हुँ शुं करूं ? पठी चकले चार हत्या प्रमुखना घणा सम खाधा तो पण चकलीए मान्युं नहीं. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003685
Book TitleSuktavali yane Suktmuktavali
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1911
Total Pages368
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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