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________________ भौगोलिक परिचय : परिशिष्ट १ ३५६ द्वारका (द्वारवती): भारत की प्राचीन प्रसिद्ध नगरियों में द्वारका का अपना विशिष्ट स्थान रहा है। श्रमण और वैदिक दोनों ही संस्कृतियों के वाङमय में द्वारिका की विस्तार से चर्चा है। द्वारिका की अवस्थिति के सम्बन्ध में विज्ञों की विविध मान्यताएं हैं। .. (१) रायस डेविड्स ने कम्बोज को द्वारका की राजधानी लिखा है।६२ (२) पेतवत्थु में द्वारका को कम्बोज का एक नगर माना है।३३ डाक्टर मलशेखर ने प्रस्तुत कथन का स्पष्टीकरण करते हुए लिखा है संभव है यह कम्बोज ही 'कंसभोज' हो, जो कि अंधकवृष्णि के दस पुत्रों का देश था।६४ (३) डा० मोतीचन्द्र कम्बोज को पामीर प्रदेश मानते हैं और द्वारका को बदरवंशा से उत्तर में अवस्थित 'दरवाज' नामक नगर कहते हैं ।६५ (४) घट जातक का अभिमत है कि द्वारका के एक ओर विराट समुद्र अठखेलियां कर रहा था तो दूसरी ओर गगनचुम्बी पर्वत था।६६ डा० मलशेखर का भी यही अभिमत रहा है। (५) उपाध्याय भरतसिंह के मन्तव्यानुसार द्वारका सौराष्ट्र का एक नगर था। सम्प्रति द्वारका कस्बे से आगे बीस मील की दूरी पर ६२. Buddhist India P. 28 Kamboja was the adjoining Country in the extreme North-west, with Dvaraka as its Capital. ६३. पेतवत्थु भाग २, पृ०६ ६४. दि डिक्शनरी ऑफ पाली प्रॉमर नेम्स, भाग १, पृ० ११२६ ६५. ज्योग्राफिकल एण्ड इकोनॉमिक स्टडीज इन दी महाभारत, पृष्ठ ३२-४० ६६. जातक (चतुर्थ खण्ड) पृ० २८४ ६७. दि डिक्शनरी ऑफ पाली प्रॉमर नेम्स भाग १, पृ० ११२५ ६२, बौद्धकालीन भारतीय भूगोल पृ० ४८७ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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