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________________ ३५८ भगवान अरिष्टनेमि और श्रीकृष्ण राजीमती गुफा से की जाती है।५५ रैवतक पर्वत सौराष्ट्र में आज भी विद्यमान है। संभव है प्राचीन द्वारिका इसी की तलहटी में बसी हो। __ रैवतक पर्वत का नाम ऊर्जयन्त भी है । ५६ रुद्रदाम और स्कंधगुप्त के गिरनार-शिला लेखों में इसका उल्लेख है। यहां पर एक नन्दन वन था, जिसमें सुरप्रिय यक्ष का यक्षायतन था। यह पर्वत अनेक पक्षियों एवं लताओं से सुशोभित था। यहां पर पानी के झरने भी बहा करते थे और प्रतिवर्ष हजारों लोग संखडि (भोज, जीमनवार) करने के लिए एकत्रित होते थे। यहां भगवान् अरिष्टनेमि ने निर्वाण प्राप्त किया था।५८ दिगम्बर परम्परा के अनुसार रैवतक पर्वत की चन्द्रगुफा में आचार्य धरसेन ने तप किया था, और यहीं पर भूतबलि और पुष्पदन्त आचार्यों ने अवशिष्ट श्रुतज्ञान को लिपिबद्ध करने का आदेश दिया था।५९ महाभारत में पाण्डवों और यादवों का रैवतक पर युद्ध होने का वर्णन आया है।६० जैन ग्रन्थों में रैवतक, उज्जयंत, उज्ज्वल, गिरिणाल, और गिरनार आदि नाम इस पर्वत के आये हैं। महाभारत में भी इस पर्वत का दूसरा नाम उज्जयंत आया है ।६१ ५५. विविध तीर्थकल्प ३।१६ ५६. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ४७२ ५७. वृहत्कल्पभाष्यवृत्ति १।२६२२ ५८. (क) आवश्यकनियुक्ति ३०७ (ख) कल्पसूत्र ६।१७४, पृ० १८२ (ग) ज्ञातृधर्म कथा ५, पृ० ६८ (घ) अन्तकृतदशा ५, पृ० २८ (ङ) उत्तराध्ययन टीका २२, पृ० २८० ५६. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज पृ० ४७३ ६०. आदिपुराण में भारत पृ० १०६ ६१. भ० महावीर नी धर्मकथाओ पृ० २१६, पं० बेचरदासजी Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003179
Book TitleBhagwan Arishtanemi aur Karmayogi Shreekrushna
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDevendramuni
PublisherTarak Guru Jain Granthalay
Publication Year1971
Total Pages456
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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