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________________ मूल्य-परिवर्तन/५७ प्रमुख शिष्य थे। ये सभी ब्राह्मण थे। इनका शिष्य-परिवार भी जाति से ब्राह्मण था। भगवान् के चवालीस सौ मुनि ब्राह्मण जाति से आए थे। यह संख्या प्रथम बार दीक्षित होने वाले मुनियों की है। इनके बाद ब्राह्मण जाति से दीक्षित होने वालों की निश्चित संख्या ज्ञात नहीं है। क्षत्रिय जाति के लोग भी बड़ी संख्या में दीक्षित हुए थे। दशार्णपुर (विदिशा) के राजा दशार्णभद्र, सिन्धु-सौवीर के राजा उद्रायण, हस्तिनापुर के राजा शिव आदि अनेक क्षत्रिय राजे भगवान् के पास दीक्षित हुए। कौशाम्बी के महाराज शतानीक की रानी मृगावती, मगध सम्राट श्रेणिक की अनेक रानियां भी भगवान् के संघ में दीक्षित हुईं। धन्ना, शालिभद्र, अनाथी आदि वैश्य तथा अर्जुनमाली आदि शूद्र जाति के लोग भी भगवान् के संघ में दीक्षित हुए। सभी व्यक्तियों के लिए संघ-प्रवेश का द्वार खुला था। ___जब सब जातियों के लोगों के लिए संघ-प्रवेश का द्वार खुला था तब सब वर्गों के लिए वह खुला कैसे नहीं होता? भगवान् के धर्मशासन में राजे दीक्षित हुए। वहां कर्मकर भी दीक्षित हुए। भगवान् ने सबको समता धर्म में दीक्षित किया और समत्व की भावना से ही अनुशासित किया। कभी-कभी १. गांव शिष्य ५०० नाम १. इन्द्रभूति २. अग्निभूति ३. वायुभूति ४. व्यक्त ५. सुधर्मा ६. मंडितं गौत्र गौतम गौतम गौतम ५०० ५०० भारद्वाज ५०० ५०० गोबरगांव गोबरगांव गोबरगांव कोल्लाग सन्निवेश कोल्लाग सन्निवेश मौर्य सन्निवेश मौर्य सन्निवेश मिथिला कौशल कौशाम्बी राजगृह ३५० ७. मौर्यपुत्र ३५० अग्निवैश्यायन वाशिष्ठ काश्यप गौतम हारित कौंडिन्य कौंडिन्य ८. अकंपित ९. अचलभ्राता १०. मेतार्य ३०० ३०० ३०० ११. प्रभास ३०० Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003115
Book TitleBhagvana Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTulsi Acharya
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year2002
Total Pages110
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Children, & Principle
File Size5 MB
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